दुनिया की पहली हाइड्रोलिक मशीन प्रेस के रूप में जोसेफ ब्रामाह ने सन 1795 में बनाई थीं. सन 1956 में अमेरिका के फ्रैंकलिन विकर्स ने हाइड्रोलिक सिस्टम में कई नए आविष्कार किए, जिनकी वजह से इन्हें फादर ऑफ इंडस्ट्रियल हाइड्रोलिक कहा जाता है.
समय बीतने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम में कई तरह के बदलाव किए गए. इन्ही बदलावों में में से एक बदलाव कृषि क्षेत्र के हाइड्रोलिक सिस्टम में भी हुए. इस सिस्टम से खेती संबंधित कई जटिल समस्याओं को आसान कर दिया है.
हाइड्रोलिक सिस्टम की कार्य शैली (Working Style of Hydraulic System)
किसानों द्वारा हाइड्रोलिक सिस्टम (द्रवचालित संचरण प्रणाली) का उपयोग सुरक्षित तरीके से किया जाये. इसके लिए इन्हे हाइड्रोलिक सिस्टम को समझना बहुत जरूरी है. ट्रैक्टर में लगाया जाने वाला हाइड्रोलिक सिस्टम भी अत्याधुनिक इंजीनियरिंग का एक अनूठा नमूना है. ट्रैक्टर में ज़्यादातर खुला और बंद हाइड्रोलिक सिस्टम आता है. हाइड्रोलिक मशीन में दबाव तरल पदार्थ द्वारा दिया जाता है.
ऐसी मशीन को काम करने के लिए तरल शक्ति उपयोगी होती हैं. इस प्रकार की मशीन में, हाइड्रोलिक द्रव को पूरे मशीन में अलग-अलग हाइड्रोलिक मोटर्स और हाइड्रोलिक सिलेंडर में पंप किया जाता है, जिससे यंत्र को ऊपर नीचे किया जा सकता है. इसमें हाइड्रोलिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है.
ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम का उद्देश्य (The Purpose of Tractor Hydraulic System)
ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम का मुख्य उद्देश्य तरल गतिकी के माध्यम से विभिन्न कृषि कार्यों को आसानी से करना है. इसके लिए ट्रैक्टर के ब्रेक और स्टीयरिंग का प्रयोग किया जाता है.
हाइड्रोलिक सिस्टम के सहारे ही ट्रैक्टर के विभिन्न कृषि यंत्रों को सरलता से ऊपर या नीचे उठाया सकता है. हाइड्रोलिक प्रणाली का सबसे बुनियादी सिद्धांत यह है कि तरल का दबाव हर जगह बराबर होता है. ऑइल एक निश्चित आंतरिक दबाव उत्पन्न करता है, जिससे हाइड्रोलिक सिलेंडरों में उच्च दबाव के कारण पिस्टन के दोनों सिरे तेज गति से दोलन करते हैं.
हाइड्रोलिक सिस्टम का इस्तेमाल किन क्षेत्रों में किया जा सकता है (In Which areas can the Hydraulic System be used)
इसका इस्तेमाल जेसीबी, बुलडोजर, माइनिंग क्षेत्र की मशीनों में, ट्रैक्टर से चलने वाले सभी यंत्रों में किया जाता है. कृषि क्षेत्र में इस सिस्टम से जुताई, बुवाई, पौध ट्रांसप्लांटिंग और अन्य सभी खेती के काम में लिए जाने वाले यंत्रों जैसे ट्रॉली, पोटैटो प्लांटर, कल्टीवेटर आदि में किये जा सकते हैं. इस तरह के कामों के लिए कम से कम 50 से 55 एचपी के ट्रैक्टर का होना आवश्यक है. यह सिस्टम काफी सरल और कम मेंटीनेंश वाला होता है.
कृषि क्षेत्र में हाइड्रोलिक की भूमिका (Role of Hydraulics in Agriculture)
कृषि प्रधान देश होने के नाते लगभग देश की 60 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र से किसी न किसी तरीके से जुड़ी हुई है तथा आज भी देश में कृषि कार्य अधिकतर परंपरागत या पुराने तरीके से किए जाते हैं. यहीं कारण है कि किसान को खेती में लागत ज्यादा और मुनाफा कम मिल रहा है.
हाइड्रोलिक उपकरणों और नई कृषि मशीनरी के द्वारा खेती के कामों में दक्षता आने लगी है तथा साथ ही उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है.
पहले की तुलना आज के हाइड्रोलिक्स सिस्टम में तरल पदार्थ की मात्रा और इलेक्ट्रानिक नियंत्रण बढ़ गया है. पुराने समय में चेन की मदद से कृषि यंत्र कई चीजें चलाते थे लेकिन आज इसे हाइड्रोलिक सिस्टम से चलाया जाता हैं, इसकी क्षमता अधिक और कृषि कार्य के लिए सटीक है.
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