किसानों के लिए कभी सूखा, कभी ओलावृष्टि तो कभी जंगली जानवरों से फसल नुकसान की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. पहाड़ों के किसान भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं, इसलिए वहां खत्म होती खेती और पलायन का यह एक मुख्य कारण है. इसी बीच एक शोध ने वन्य जीवों से किसानों की फसल बचाने की एक राह दिखाई है. इस शोध में जंगली सुअर, लंगूर और बंदरों के व्यवहार पर अध्ययन किया गया है. इसके बाद एक नायाब यंत्र को विकसित किया है. इस यंत्र को जैविक प्रशिक्षण केंद्र मजखाली (रानीखेत) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. वैज्ञानिकों ने तबाह होती फसलों को जंगली सुअर, बंदर और लंगूरों से बचाने की उम्मीद जगाई है.
क्या है नया कृषि यंत्र
इस यंत्र के पंखे से टकरा कर कनस्तर, थाली और टिन की अलग-अलग आवाजें वन्य जीवों को फसल से दूर भगाने में मदद करेंगी. उत्तराखंड के जैविक कृषि प्रशिक्षण केंद्र के फार्म में इसका प्रयोग सफल हो चुका है. अब बिजली चालित यंत्र को सब्जी और फल उत्पादक गांवों में लगाने की तैयारी चल रही है. खास बात है कि डिवाइस लगने के बाद यंत्र को ब्लूटूथ से कनेक्ट कर सकते हैं. इसके लिए दिल्ली में एक आइटी कंपनी से बात चल रही है.
ऐसे काम करेगा यंत्र
इस यंत्र के खंभे के ऊपरी सिरे पर पंखा लगाया गया है. इस पर वन्य जीवों के लिए थाली या टिन बांधी जाएगी. इसके बाद पंखा चालू कर दिया जाएगा. जब वन्य जीव फसल के औस-पास आएंगे, तो थाली, टिन या कनस्तर जोर से बजने लेगा. खास बात कि सभी की आवाज अलग होगी. इससे जंगली जानवर एक ही आवाज सुन उसके आदी नहीं होंगे.
मिलेगा मजखाली या रानीखेत का नाम
किसानों की मदद के लिए बनाएं गए इस कृषि यंत्र को मजखाली या रानीखेत का नाम दिया जाएगा. शोध वैज्ञानिकों के अनुसार, स कृषि यंत्र को 'जंगली जानवर भगाओ' या 'किसान मजखाली मित्र पंखा' नाम दिया जाएगा.
डिवाइस लगाने की तैयारी
बिजली चालित विशेष यंत्र का रानीखेत के मजखाली में सफल प्रयोग हो चुका है. अब समें डिवाइस लगाने की तैयारी चल रही है. अभी यंत्र को चालू करने के लिए कमरे या घर के बाहर स्विच ऑन करना पड़ रहा है. जब डिवाइस लग जाएगा, तो किसान घर बैठे खेत में पंखा चालू कर सकते हैं.
Share your comments