इंसानों को अदालतों में सजा सुनाते तो आपने सुना है, लेकिन देवी-देवताओं की अदालत लगने, सजा सुनाने या फिर दोषमुक्त कर दिए जाने की आदिम संस्कृति का नजारा केशकाल में नजर आया.
गांव में कोई आपदा आने, मन्नतें पूरी नहीं होने या जीवन में कोई बड़ी विपत्ति आने पर ग्रामीण इसके लिए देवी-देवताओं को दोषी ठहराते हुए भंगाराम देवी की अदालत में उनकी शिकायत करते हैं.
साल में एक बार होने वाले जातरा में अंचल के नौ परगना के ग्राम पंचायतों के ग्रामीण अपने देवी-देवताओं को लेकर गाजे-बाजे के साथ भंगाराम देवी की अदालत में पहुंचे. इसके पहले सभी देवी-देवताओं ने ललित कुंवर आंगा देव के साथ केशकाल थाने में हाजिरी दी.
केशकाल घाटी के ऊपर मंदिर में विराजित भंगाराम देवी की अदालत में देवी-देवताओं की पेशी हुई. इसमें श्रद्धालुओं ने जहां अपने कुलदेवी-देवताओं पर आरोप की झड़ी लगाई, वहीं पुजारियों ने देवी-देवताओं की ओर से उनका पक्ष रखा.
शिकवा-शिकायतों के बाद कुछ देवी-देवताओं की सजा भी मुकर्रर हुई, वहीं कुछ को निलंबित भी किया गया. यहां उनकी पूजा कर भेंट स्वरूप नारियल प्रदान किया गया. यहां से देवी-देवता पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के साये में भंगाराम देवी के दरबार में पहुंचे. सिर नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने निर्धारित स्थान पर विराजित हो गए. इसके बाद एक-एक कर देवी-देवताओं की पेशी हुई. इस वर्ष देवी-देवताओं से लोगों में नाराजगी कम रही.
ग्रामीणों ने देवी-देवताओं को खुश करने बलि और अन्य भेंट दी. वहीं माइजी के दरबार में देवी-देवताओं की सुनवाई चलती रही, जो देर रात तक चलेगी. एक-एक कर उनकी सजा अथवा रिहाई सुनाई जाएगी.
इस जातरा में उपस्थित छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष कमलचंद्र भंजदेव ने देवी-देवताओं के लिए बनाए गए नये शेड का उद्घाटन भी किया.
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