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एक कविता ऐसी भी !

सितारों का साथ निभाने को चांद निकलता है रात का अंधियारा भगाने को सूरज निकलता है

चन्दर मोहन
चन्दर मोहन
Poetry
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सितारों का साथ निभाने को

चांद निकलता है

रात का अंधियारा भगाने को

सूरज निकलता है

जीवन है चलने का नाम तभी तो

एक पांव पीछे तो दूसरा आगे निकलता है

मन में हों गम तो आसूं बहता है

हो खुशी तो भी वह टपकता है

तुम जब भी रहो रोशनी में तो

साया भी साथ देता है

गम के अंधेरों में डूब जाओगे तो

साया भी भाग जाता है

हम तन्हा हैं, और

तुम्हारा साथ पाने को दिल मचलता है

कुछ पाने के लिए

कुछ खोना पड़ता है

 

 

 

इसलिए तो,

धागे का साथ पाने को

मोम पिघलता है

English Summary: poetry for life and a new start Published on: 04 April 2019, 12:29 IST

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