ख़ून सस्ता है मगर यूं न पिया जाये मुझे
ज़हर जब फैले तो फ़ासिद न कहा जाये मुझे
पेश है चाय जो चाहे पिये गर-ए-दिल-ए-सब्ज़
जो नहीं चाहता वह ज़हर…
अब न भीड़ दिखती है
न ही शोर होता है
दुनिया जैसे ब्लर हो जाती है
फोकस तेरी ओर होता है
घर, दोस्ती, सारी दुनिया से
बगावत होती है, एक रोर होता है
नींद टूटी, महसूस हुआ
ऐसा फिल्मों में होता है ।
English Summary: big difference between reel life and real lifePublished on: 25 June 2019, 05:37 IST
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