जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कपास की रूई का इस्तमाल कपड़े बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कपास से न सिर्फ कपडे ही बनते हैं, बल्कि इसके आयुर्वेद में कई ऐसे फायदे हैं जो आपको कई सारी बीमारियों से निजात दिलाता है. आज हम अपने इस लेख में आपको बतायेंगे कपास का इस्तेमाल कर कैसे बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकते हैं....
कपास का इस्तेमाल रुसी के लिए (Using Cotton For Dandruff)
अगर आपको बालों में रूसी की समस्या है तो आप अपने बालों में कपास के तेल का इस्तेमाल कर सकते हो. ये आपको रुसी की समस्या से निजात दिलाने में बहुत सहायक होता है.
कपास का इस्तेमाल सिरदर्द में (Use Of Cotton In Headache)
अगर आपको हर रोज सर दर्द जैसी परेशानी से जूझना पड़ता है, तो आप इसके लिए कपास की मिगी को पीसकर लेप बनाएं और इसकी बाद अपने माथे पर इसका लेप लगायें. इस तरह से कपास का इस्तेमाल आपको सर दर्द से निजात दिलाएगा.
कपास का इस्तेमाल आँखों के दर्द से दिलाये राहत (Use Of Cotton To Get Relief From Eye Pain)
आज कल लोग अपने ऑफिस में काम करने के लिए देर तक कम्पूटर के सामने बैठे रहते हैं, जिससे आँखों में दर्द चालू हो जाता है. आँखों के दर्द से रहत पाने के लिए आपको कपास के पत्तों को पीसकर उसमें दही मिलाकर अपनी आँखों के उपरी भाग में इस्तेमाल करें. ऐसा करने से आपको आँखों के दर्द से राहत मिलेगी.
कपास का इस्तेमाल कान का बहना कम करे (Use Cotton To Reduce Ear Oozing)
कान से एक प्रकार का तरल पदार्थ निकलता है, तो उसे कान बहना या ओटेारिया कहा जाता है. वैसे तो यह समस्या छोटे शिशुओं व बच्चों में अधिक देखने को मिलती है, लेकिन ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है. ऐसे में आप कपास फल के रस में शहद की कुछ बूँद मिलाकर एक घोल बना लें. इसके बाद इसकी 1 से 2 बूँदें अपने कान में डालें. ये जल्द ही आपको इस समस्या से रहत दिलाएगा.
कपास का इस्तेमाल लिकोरिया या प्रदर से दिलाए राहत (Use Of Cotton To Get Relief From leucorrhoea)
महिलाओं में आमतौर पर योनि से सफेद पानी निकलने जैसी एक प्रकार की समस्या होती है, जिसे लिकोरिया या प्रदर रोग भी कहा जाता है. इस बीमारी से निजात पाने के लिए 1-2 ग्राम कपास के जड़ के काढ़े को चावल के धोवन यानि चावल को धोते समय जो पानी निकाला जाता है के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है.
ऐसी ही सेहत सम्बंधित जानकारी जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.
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