आज के दौर में ज्यादातर लोगों की आंखें कमजोर है. देखा जाए तो कम उम्र के बच्चों की भी आंखें दिन पर दिन कमजोर हो रही है, जिसके चलते उन्हें बचपन में ही चश्मा लग जाता है. इसका मुख्य कारण आज के खान-पान को माना जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ खान-पान से ही बच्चों की आंखे कमजोर नहीं हो रही है. इसके अन्य कई कारण है, जिनके बारे में आज हम आपने इस लेख में विस्तार से जानेंगे.
कम उम्र मे आँखो की रोशनी कम होने के कारण
आंखों का रोशनी प्रभावित होने का कारण रिफ्रैक्टिव एरर हो सकता है. जिसके कारण मायोपिया, हाइपोरिया की समस्या बढ़ जाती हैं. जब प्रकाश की किरणें सीधे आंखों पर पड़ती है तो देखने की क्षमता खत्म हो जाती हैं. ऐसे में जब हम घंटों-घंटो स्क्रिन के सामने बैठे रहते हैं तो आंखों पर स्क्रीन लाइटों का प्रभाव अधिक पड़ता है. जिससे आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती हैं और हम देखने में असमर्थ हो जाते हैं.
नवजात शिशुओं की आँखों में कम रोशनी होने का कारण
जन्म के समय बच्चे की आंखें तेज रोशनी के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं, लेकिन अधिक संवेदनशीलता नवजात शिशुओं की आंखों की समस्याओं में से एक है, लेकिन एक या दो महिने के बाद भी ये प्रॉब्लम ऐसे ही है, तो यह आंखों में बढ़ते दबाव के कारण हो सकता है. साथ ही अगर बच्चों के रोते समय उनकी आंखों में हद से ज्यादा आंसू निकलता हो या आँख अंदर या बाहर की ओर मुड़ी हुई है तो यह भी कम रोशनी के लक्षण हो सकते हैं.
खराब डाइट आंखों पर डालता है प्रभाव
खराब खान-पान भी आपकी आंखों की रोशनी पर काफी हद तक प्रभाव डाल सकता है. हमारे शरीर को कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिससे शरीर का हर अंग बेहतर तरीके से काम करने में सक्षम रहे. ऐसे ही आखों के लिए भी विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता होती है.
बचाव एवं उपचार
- आंखों की नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए.
- स्वस्थ रहने का प्रयास करें और योग व कसरत के माध्यम से अपनी सेहत को बनाए रखें.
- नियमित रूप से आंखों की एक्सरसाइज करें. जैसे कि- पलके झपकाना, पेंसिल पुशअप्स आदि.
- आंखों को धूप से बचाएं. धूप के चश्मे पहने जोUV किरणों से बचाव करते हैं
- कम से कम स्क्रीन का उपयोग करें.
लेखक: नित्य दुबे
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