फालसा, जिसे ग्रेविया एशियाटिका के नाम से भी जाना जाता है, भारत में गर्मियों के पसंदीदा फलों में से एक है। लाल-बैंगनी रंग का और ब्लूबेरी के समान ये एक छोटा और गोल आकार का फल होता है।
फालसा का स्वाद मीठा और खट्टा होता है, और लोग आमतौर पर इसे कच्चा खाते हैं या जूस के रूप में इसका सेवन करते हैं। इसका ट्रांसपोर्ट करना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यह बहुत तेजी से खराब होने वाला फल है, इसलिए यह विश्व स्तर पर उपलब्ध नहीं है। गर्मी का मौसम आते ही जगह-जगह फालसे के ठेले खड़े मिल जाते हैं।
फालसा फल के स्वास्थ्य लाभ
ये फल खाने में जितना स्वादिष्ट है, उतना ही यह अनगिनत गुणों से भरपूर है। इसे खाने से न केवल बुखार ठीक हो जाता है, बल्कि यह फल पुरुषों में लो स्पर्म काउंट की समस्या को दूर करने के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
इसमें कैल्शियम, विटामिन ए, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, फास्फोरस के होने से यह सूजन को कम करने में बहुत प्रभावी है। जोड़ों के दर्द से राहत दिला सकता है। गर्मी के मौसम स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए फालसे के रस का सेवन करना शरीर के लिए टॉनिक का काम करता है. यह पित्त की समस्याओं को दूर करता है।
यह पाचन में सहायता करता है, यह उन लोगों के लिए अद्भुत काम कर सकता है, जो अक्सर हार्टबर्न से पीड़ित होते हैं। पेट दर्द में बहुत आराम मिलेगा। एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबॉयल प्रोपर्टीज के कारण, फालसा मूत्र प्रवाह में सुधार करता है। यह पेशाब में जलन और पित्ताशय की समस्याओं के इलाज में भी फायदेमंद हो सकता है।
फालसा आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, क्योंकि इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो स्ट्रोक या हृदय रोग को रोक सकता है। फालसा आयरन से भरपूर होता है और एनीमिया को ठीक करने में मदद कर सकता है। गर्भवती महिलाओं में खून की कमी होना आम बात है और फालसा से उन्हें फायदा हो सकता है। अगर आप एनीमिया के रोगी हैं, तो आपके लिए फालसे का सेवन बेहद फायदेमंद हो सकता है. इसके सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और एनीमिया की कमी को दूर किया जा सकता है.
फालसा के फलों का रस पीने से दमा, ब्रोंकाइटिस, जुकाम और अंश सांस संबंधी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए अदरक या नींबू के रस के साथ फालसा फल मिलाएं। फालसा फल के अर्क में एंटी-अर्थराइटिस प्रभाव पाया जाता है, क्योंकि इसमें फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक यौगिक और विटामिन सी पाया जाता है जो गठिया के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
फालसा फल का सेवन डायरिया में लाभदायक माना जाता है। आपको बता दें कि फालसा में पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो डायरिया में राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है; स्तन कैंसर के प्रति उनकी प्रभावशीलता के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों का परीक्षण किया जा रहा है। फालसा फल में एंथोसायनिन नामक स्मार्ट अणु होते हैं जो असामान्य कोशिकाओं के गुणन और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि फालसा फल स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।
डिप्रेशन एक मूड डिसऑर्डर है जिसके परिणामस्वरूप उदासी और रुचि की हानि होती है और यह रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। फालसा फल, एंटीऑक्सिडेंट जैसे फिनोल, एंथोसायनिन, फ्लेवोनोइड्स आदि की उपस्थिति के कारण अवसाद को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह फल संभावित रूप से चिंता (चिंताजनक प्रभाव) को कम कर सकता है। इसलिए फालसा फल में डिप्रेशन को मैनेज करने की क्षमता हो सकती है।
फालसा में हाई सोडियम कंटेंट होता है, जो आपके इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाता है। यह शरीर में एंजाइमों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक आयरन भी प्रदान करता है। इसमें एंटी-फंगल गुण भी होते हैं, जो स्किन के फंगल इंफेक्शन को रोक सकते हैं और डैंड्रफ जैसी बालों की समस्याओं का प्रबंधन कर सकते हैं।
फालसा के नुकसान
फालसा फल रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। हालांकि, अत्यधिक खपत से आपके रक्त शर्करा का स्तर बहुत कम हो सकता है। फालसा फल टैनिन से भरपूर होते हैं, टैनिन से भरपूर खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से इसोफेजियल कैंसर हो सकता है। हालांकि, फालसा फल में कुछ कैंसर के जोखिम को कम करने का गुण होता है, लेकिन टैनिन का प्रकार और मौजूद मात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए फालसा फल के अधिक सेवन से बचना चाहिए।
फालसा फल फ्लेवोनॉयड्स से भी भरपूर होता है, इसलिए इसे सही मात्रा में सेवन करने और इसके अधिक सेवन से बचने की सलाह दी जाती है।
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लेखक:
अनुशी1, सत्यार्थ सोनकर1, राहुल कुमार यादव1, स्वतंत्र यादव1
1शोध छात्रk, फल विज्ञान विभाग, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (उ. प्र.) (208002)
संवादी लेखक: अनुशी
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