आजकल सेहत से जुड़ी समस्याओं में सबसे ज़्यादा शुगर की शिकायत होती है, जिसे मधुमेह भी कहा जाता है. आज ज़्यादातर लोग शुगर की बीमारी से जूझ रहे हैं और इसको जड़ से खत्म करने के लिए कई तरह की दवाईयों का सेवन करते हैं.
साथ ही कई चित्किसक और वैज्ञानिक इसको जड़ से खत्म करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं. इसी कड़ी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के हाइटेक वनस्पति उद्यान में देश और विदेश की कई दुर्लभ प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं.
इसमें बीएचयू (BHU) औषधीय गुणयुक्त स्टीविया के पौधे का विकास कर रहा है, जो किसानों को बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा. आपको बता दें कि इसकी खेती के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है. स्टीविया को शुगर का रामबाण इलाज माना जाता है.
क्या है स्टीविया ? (What is Stevia?)
सदियों से दक्षिणी अमेरिकी देशों में स्टीविया पौधे की पत्तियों का उपयोग प्राकृतिक स्वीटनर के तौर पर होता है. खास बात है कि अब स्टीविया पूरे विश्व में पाया जाता है, जोकि प्रकृति प्रदत्त मीठा के विकल्प के तौर पर मशहूर है.
आधा ग्राम पाउडर से रुकेगी शुगर की मात्रा (The amount of sugar will stop with half a gram of powder)
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के जीव रसायन और पादप कार्य विभाग का कहना है कि स्टीविया शुगर रोगियों के लिए रामबाण इलाज है. इससे पाउडर बनाकर तैयार किया जाएगा, जिसको केवल आधा ग्राम की मात्रा में उपयोग करके ब्लड में शुगर की मात्रा को बढऩे से रोक सकते हैं. खास बात है कि यह चीनी से लगभग 20 गुना ज्यादा मिठास देता है. इसके साथ ही यह कई अन्य बीमारियों को जड़ से मिटाने में सक्षम माना गया है.
अन्य जानकारी (Other Information)
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वनस्पति उद्यान में पौधा का विकास हो रहा है. यह आने वाले कुछ दिनों में किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. इसके द्वारा किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे, क्योंकि किसानों के लिए इस औषधीय पौधे की खेती बहुत लाभकारी रहेगी.
इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा. बता दें कि कृषि विश्वविद्यालय प्रयास लगातार प्रयास में लगा है कि इसको बाजार में लाने में कोई समस्या न हो. इन औषधीय पौधों को संग्रहित कर उसका व्यापक विस्तार किया जा रहा है. इससे शुगर की बीमारी खत्म होगी, साथ ही किसानों को आमदनी बढ़ाने का एक बेहतर मौका मिलेगा.
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