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जानिए मुलेठी की उन्नत खेती करने तरीका, एनएमपीबी दे रहा 50 फीसद अनुदान,

मुलेठी की खेती करना आसान एवं किफ़ायती है. आम बोलचाल की भाषा में इस झाड़ी को ‘मीठी जड़’ के नाम से भी जाना जाता है. खाने के अलावा इसका प्रयोग गले की खराश, खांसी एवं आयुर्वेदिक दवाइयों के रूप में किया जाता है. ये झाड़ी कफ निवारक एवं जलन रोधक होती है और इसकी जड़ों से कई तरह की बीमारियों का उपचार होता है. इतना ही नहीं त्वचा की समस्याओं, पीलिया, अल्सर, ब्रोंकाइटिस इत्यादि के उपचार में भी ये झाड़ी सहायक है. इसकी खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान भी देती है. चलिए आपको बतातें है कि किस तरह मुलेठी की उन्नत खेती की जी सकती है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार
mulethi plant and farming tips

मुलेठी की खेती करना आसान एवं किफ़ायती है. आम बोलचाल की भाषा में इस झाड़ी को ‘मीठी जड़’ के नाम से भी जाना जाता है. खाने के अलावा इसका प्रयोग गले की खराश, खांसी एवं आयुर्वेदिक दवाइयों के रूप में किया जाता है. ये झाड़ी कफ निवारक एवं जलन रोधक होती है और इसकी जड़ों से कई तरह की बीमारियों का उपचार होता है. इतना ही नहीं त्वचा की समस्याओं, पीलिया, अल्सर, ब्रोंकाइटिस इत्यादि के उपचार में भी ये झाड़ी सहायक है. इसकी खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान भी देती है. चलिए आपको बतातें है कि किस तरह मुलेठी की उन्नत खेती की जी सकती है.

मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा है

मुलेठी को हम सदाबहार झाड़ीनुमा पौधों की श्रेणी में डाल सकते हैं. इसकी औसत ऊंचाई 120 सेमी के लगभग होती है. जबकि इसका फूल जामुनी से सफेद नीले रंग का हो सकता है. फलों में भरपूर रूप से बीज पाएं जातें हैं. स्वाद में इसके जड़ मीठे होते हैं. भारत में पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों के अलावा ये पौधा मुख्य तौर पर ग्रीक, चीन एवं मिस्र में पाया जाता है.

जलवालयु एवं मिट्टीः

इसकी खेती के लिए रेतीली-चिकनी मिट्टी उत्तम है. जलुवायु के हिसाब से भारत के उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र की उष्ण कटिबंधीय जलवायु उपयुक्त है.

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बिजाई का समय

इसकी बिजाई के लिए जनवरी-फरवरी का मौसम सही है. इस मौसम में नर्सरी की तैयारी करें. आप फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त माह में बिजाई कर सकते हैं.

खेत की तैयारीः

इसकी खेती करने के लिए खेतों को अच्छी तरह से समतल करना जरूरी है. मिट्टी को नरम होने तक जोतें. खरपतवार को अच्छें से हटा दें. मिट्टी में पानी ना खड़ा होने दें.

पौधे का प्रत्यारोपणः

इसकी खेत के लिए रोपाई का फासला 90x45 सैं.मी. तक रखें. बिजाई सीधे या पनीरी लगाकर करें. भूस्तरी 10-20 दिन में अंकुरित होना चाहिए. आप चाहें तो बीज में अन्तर प्रजातियों की फसलें जैसे गाजर, आलू बंद गोभी आदि लगा सकते हैं. जब तक काटे गये टुकड़े अंकुरित होना शुरू नहीं हो जाते, हल्की सिंचाई कुछ समय के अंतराल पर करते रहें.

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सिंचाईः

इस पौधें को गर्मियों के मौसम 30-45 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती है. जबकि सर्दियों में सिंचाई की खास जरूरत नहीं होती. पानी की स्थिरता को रोकना जरूरी है, क्योंकि इससे जड़ गलने की आशंका होती है.

कटाईः

ढ़ाई या तीन साल बाद पौधा से उपज शुरू हो जाती है. तब आप सर्दियों के नवंबर से दिसंबर में  महीने में कटाई कर सकते हैं. कटाई के बाद जड़ों को धूप में सुखाना बेहतर है. जबकि जड़ों को हवा रहित बैग में डाला देना चाहिए. आप चाहें तो सूखी जड़ों को चाय, पाउडर आदि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं.

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खेती के लिए इस तरह मिलता है अनुदानः


 

अनुमानित लागत

देय सहायता

पौधशाला

 

 

पौध रोपण सामग्री का उत्पादन

 

 

क) सार्वजनिक क्षेत्र

 

 

1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर )

 25 लाख रूपए

अधिकतम 25 लाख रूपए

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

अधिकतम 6.25 लाख रूपए

ख) निजी क्षेत्र (प्रारम्भ में प्रयोगिक आधार पर )

 

 

1) आदर्श पौधशाला  (4 हेक्टेयर)

25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 12.50 लाख रूपए तक सीमित                         

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 3.125 लाख रूपए तक सीमित

 

English Summary: mulethi plant scientific farming and tricks know hy mulethi is beneficial for the health Published on: 09 November 2019, 05:49 IST

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