स्टीविया चीनी की तरह मीठी होती है लेकिन इसमें कैलोरी न के बराबर होती है यही वजह है कि शुगर मरीजों के लिए यह रामबाण औषधि है. अपने इन्हीं औषधीय गुणों के कारण स्टीविया की खेती किसानों के लिए लाभ का व्यवसाय बनती जा रही है. दरअसल, आजकल देश के किसानों का औषधीय फसलों की खेती की तरफ रूझान तेजी से बढ़ता जा रहा है. स्टीविया के अलावा बड़े पैमाने पर सतावरी, अश्वगंधा और आर्टीमीशिया जैसी औषधीय फसलों की खेती की जा रही है. तो आइये जानते हैं स्टीविया की खेती की पूरी जानकारी-
स्टीविया की खेती के लिए जलवायु (Climate for Stevia Cultivation)
स्टीविया ऐसी औषधीय फसल है जिसकी खेती बारिश को छोड़कर हर मौसम में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
स्टीविया की खेती के लिए रोपाई (Planting for Stevia Cultivation)
वैसे तो स्टीविया की खेती सालभर की जा सकती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए इसकी खेती के लिए फरवरी-मार्च महीना उचित माना जाता है. इसके पौधे की रोपाई मेड़ बनाकर की जाती है. इसके लिए 15 सेंटीमीटर उंचाई की 2 फीट चैड़ी मेड़ का निर्माण किया जाता है. जहां लाइन से लाइन की दूरी 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखी जाती है. बता दें कि मेड़ों के बीच में डेढ़ फीट की नाली छोड़ी जाती है.
स्टीविया की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक (Fertilizers and Fertilizers for Stevia Cultivation)
जैसा कि आप जानते हैं कि स्टीविया की पत्तियां मीठी होती है और इसका उपयोग सीधे खाने में किया जाता है. यही वजह है इसकी खेती में रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. जहां तक इसमें पोषक तत्वों की बात करें तो एक एकड़ के लिए नाइट्रोजन 110 किलोग्राम, फास्फोरस 45 किलोग्राम और पोटाश 45 किलोग्राम जरूरत होती है. इसके लिए 200 क्विंटल गोबर खाद या फिर 70 से 80 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट पर्याप्त होती है.
स्टीविया की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Stevia Cultivation)
स्टीविया की खेती में अत्यधिक सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसलिए सर्दियों के दिनों में 10 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. सिंचाई के लिए के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपनाएं.
स्टीविया की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण (Weed Control for Stevia Cultivation)
स्टीविया में खरपतवार नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि अनावश्यक खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए.
स्टीविया की खेती के लिए रोग एवं कीट नियंत्रण (Disease and Pest Control for Stevia Cultivation)
वैसे तो स्टीविया की खेती में किसी प्रकार की बीमारी नहीं लगती है लेकिन बोरान की कमी के कारण इसकी पीली होती है. जिससे इसके पत्तों पर धब्बे पड़ जाते हैं. इसके लिए बोरेक्स 6 प्रतिशत का छिड़काव किया जाता है. वहीं कीटों की रोकथाम के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें.
स्टीविया की खेती के लिए फूलों को तोड़ना (Plucking flowers for stevia cultivation)
इसकी पत्तियों में ही स्टीवियोसाइड तत्व पाया जाता है. यही वजह है कि इसकी पत्तियों की संख्या बढ़ाना बेहद जरूरी होता है. पत्तियों की संख्या बढ़ाने के लिए इसके फूलों की तुड़ाई बेहद जरूरी है. स्टीविया के फूलों की पहली तुड़ाई रोपाई की 30 दिन, दूसरी तुड़ाई 45 दिनों बाद, तीसरी तुड़ाई 60 दिनों बाद और चौथी तुड़ाई 75 दिनों बाद और पांचवीं तुड़ाई 90 दिनों बाद करना चाहिए.
स्टीविया की खेती से उत्पादन (Production of stevia)
अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्टीविया की पत्तियों की अच्छी खासी मांग रहती है और यह 300 से 400 प्रति किलो बिकती है. सालभर में स्टीविया की 3 से 4 कटाई की जाती है जिससे 70 से 100 क्विंटल सुखी पत्तियों का उत्पादन होता है. यदि थोक बाजार में यह 100 रूपये किलो भी बिकती है तो हर प्रति एकड़ से 5 से 6 लाख रूपये की कमाई की जा सकती है.
Share your comments