आम को फलों का राजा कहा जाता है. यह भारत का राष्ट्रीय फल भी है. आम हमारे देश के प्राचीन फलों में एक है. अपनी पोष्टिकता, मिठास और सहज ही सबके लिए उपलब्ध होने के कारण ही यह हमारे देश में फलों का राजा कहलाता है. आम के पेड़ हमारे देश में हर तरह की मिट्टी में लगाए जा सकते हैं और यह प्रायः सभी तरह के जलवायु के अनुकूल होता है. एक बार आम का पेड़ लग गया तो वह तीन-चार दशक तक फल देता है. इसलिए एक बार मेहनत कर आम के पेड़ लगा लेने पर वर्षों तक इससे फल प्राप्त होता रहता है. व्यवसायिक रूप से भी आम का पेड़ किसानों के लिए लाभदायक है. आम की बागवानी कर किसान अच्छी खासी आय कर सकते हैं. तो आइए व्यवसायिक रूप से लाभदायक आम के पेड़ लगाने की खास विधि के बारे में हम आपकों यहां कुछ विशेश जानकारी उपलब्ध कराते हैं.
कलम तैयार करने की विधि
आम का पेड़ भी आम के बीज से ही तैयार होता है. लेकिन आम का पेड़ बीज से तैयार करने पर उन्नत किस्म का नहीं होता है. बीज से पेड़ तैयार करने पर वह उस प्रजाति का पेड़ नहीं भी हो सकता है जिस प्रजाति का मूल आम रहता है. इसलिए उन्नत किस्म के और विशेष प्रजाति के पेड़ तैयार करने के लिए कलम विधि का प्रयोग किया जाता है. कलम तैयार करने के लिए आपके पास किसी भी आम के गुठली (बीज) से तैयार एक 6 माह का पौधा होना चाहिए. यह पौधा गमले में तैयार करना अच्छा माना जाता है. लेकिन जरुरी नहीं है की पौधा गमले में ही तैयार किय गया हो. इसके साथ टेप के रूप किसी भी तरह की एक पतली पालीथीन और पौधा काटने के लिए एक तेज चाकू की जरुरत भी पड़ेगी. कलम तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले चयन करना होगा कि किस प्रजाति का आम पेड़ लगाना है.
मान लेते हैं कि हमें मालदह (लंगड़ा) आम का पेड़ लगाना है. इसके लिए कहीं से भी मालदह आम के पेड़ से एक दो फीट की शाखा (डाली) काट कर लाना होगा. इसी तरह यदि आप दशहरी या गुलाबखासका प्रजाति के आम का पेड़ लगाना चाहते हैं तो आपको उसी के पेड़ से दो फीट की शाखा काट कर लाना होगा. शाखा का रंग हल्का हरा ही होना चाहिए यानि वह ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए. उक्त शाखा के सभी पत्तों को पहले चाकू से काट दें. उसके बाद जो किसी भी आम के गुठली से तैयार पौधा जो 6 माह पुरानी हो, उसको भी ऊपर से काट दें. इस क्रम में यह खयाल रखना होगा कि गुठली से तैयार पौधा तथा मालदह आम या किसी अन्य प्रजाति विशेष के पेड़ से काट कर लाई हुई शाखा दोनों की मोटाई एक समान हो. अब जो पौधा गुठली से तैयार है तथा जिसके ऊपर का भाग काट दिया गया है, उस कटे हुये भाग को बीच से 3 से 4 से.मी. तक चाकू से काटना पड़ेगा. इसके बाद जिस प्रजाति के आम का पौधा तैयार करना है उसकी शाखा के एक सिरे को इस तरह से दो तरफ से छिले की गुठली वाले पौधे के कटे हुये भाग में आसानी से उसे बीच में लगाया जा सके.
शाखा के एक सिरे को 3 से 4 से.मी. तक दोनों तरफ से छिलकर उसे गुठली से तैयार पौधे के बीच में ऊपर से लगा दें. उक्त शाखा को इस तरह से लगाएं की बीच में कोई खाली जगह नहीं रहे तथा कटे हुये भाग तथा शाखा के छिले हुये भाग को एक दुसरे में समाहित कर दें. अब इस जुड़ाव वाले भाग को पालीथीन से 6 से.मी. नीचे से लेकर 6 से.मी. ऊपर तक बांध डालें. पालीथीन से जुड़ाव वाले भाग को इस तरह दो से तीन बार लपेट कर बांधे ताकि वह कुछ मोटा हो जाए. अब उस पालीथीन के ऊपर एक के टेप को लपेट कर इस तरह बांधे ताकि किसी भी तरह का कोई हवा उसके अन्दर नहीं जा सके. इसके बाद आम का कलम तैयार होने के लिए 2 माह तक छोड़ दें. कलम तैयार करने वाले स्थल पर छांव कर देना चाहिए.
दो माह के अंदर दो अलग-अलग शाखाएं आपस में जुड़ जाएंगी. एक माह के बाद ही यह देखने को मिलेगा कि जो शाखा बाहर से काट कर लाई गई थी उसमें नये पत्ते निकलने लगे हैं. इसका मतलब यह हुआ की दोनों शाखाएं आपस में जुड़ गई है. दो माह तक बंधे हुए भाग को नहीं खोले. दो माह बाद बंधे हुये भाग को खोलकर देखेंगे तो दोनों भाग आपस में जुड़ गए होंगे. दोनों शाखाएं के आपस में जुड़ने का मतल कि कलम तैयार हो गया. अब आप उस पेड़ को किसी भी खेत में लगा सकते हैं. यह पेड़ उसी प्रजाति का होगा जिसकी शाखा को आम के बीज वाले पौधे के साथ काटकर जोड़ा गया है. इसी को कलमी आम भी कहते हैं.
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