रोजगार का अवसर तलाश कर रहे युवाओं के लिए यह काफी अच्छी खबर है. वास्तु में खास और सजावट में उपयोगी रंगीन मछली का उत्पादन राजस्थान के भीलवाड़ा में भी होने लगा है. घर हो, ऑफिस या फिर व्सवासायिक प्रतिष्ठानों में सजाने के लिए रंगीन मछलियां खरीदने के लिए अन्य शहर में नहीं जाना पड़ेगा. इसीलिए अब इजरायल और सिंगापुर की तर्ज पर आरके कॉलोनी के रवींद्र उपाध्याय ने रंगीन मछली का उत्पादन शुरू किया है. वह बताते है कि डेढ़ से दो लाख की लागत से 25 गुणा 50 भूभूगा में रंगीन मछली प्रजनन यूनिट लगा सकते है. रंगीन मछलियों की उम्र समान्य मछलियों के मुकाबले भी कम होती है. रंगीन मछली उत्पादन आमजन के लिए भी आय का जरिया बन सकते है. इसमें लागत और जगह कम लगती है. सरकार रंगीन मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए सहायता देती है.
रंगीन मछलियां पालने की सलाह
रंगीन मछलियां कई प्रकार की होती है. यहां पर स्थानीय मूल की मछलियां में चाल, दूधिया, पतोला, बाम और लोच है, जबकि विदेशी में गोल्डफिश, ब्लैक मोली, एंगल फिश आदि है. वर्तमान में करीब 15 तरह की सजावटी मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. वास्तुकारों का कहना है कि उन्होंने सबसे पहले प्लेटी और मोली मछली से उत्पादन को शुरू किया था. वर्तमान में करीब 15 तरह की सजावटी मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. वास्तुकारों का कहना है कि घर में, ऑफिस, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रंगीन मछली की हलचल से वास्तु दोष का निवारण होता है. रंगीन मछली को आर्थिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है.इनमें भी गोल्डन व अरबाना फिश का महत्व ज्यादा है.
सरकार की ओर से मुफ्त प्रशिक्षण
आज के समय में रंगीन मछली का उत्पादन जयपुर, उदयुपर, हनुमानगढ़ में बहुतायत से हो रहा है. यह काम अब भीलवाड़ा के आरके कॉलोनी आदि के एक्वेरियम में ही होता है.रगंनी मछली उत्पादन देश के कई दक्षिणी भाग केरल, पश्चिम बंगाल, बेगलुरू में भी होता है. रंगीन मछली उत्पादन के लिए इच्छुक युवाओं को राजस्थान सरकार के सहयोग से एक्विरेयम पर निशुल्क प्रशिक्षण देने की वयवस्था है.
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