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ब्रूडिंग के समय चूजों की देखभाल, पाएं जानकारी

नवजात चूजों का सावधानी से पालन करना महत्पवूर्ण कार्य है. नवजात चूजों को कृत्रिम रूप से गरम तापमान के प्रदान करने को ब्रूडिंग कहते हैं और पोल्ट्री पालन में यह एक अतिआवश्यक कार्य है.

KJ Staff
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Poultry farming
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नवजात चूजों का सावधानी से पालन करना महत्पवूर्ण कार्य है. नवजात चूजों को कृत्रिम रूप से गरम तापमान के प्रदान करने को ब्रूडिंग कहते हैं और पोल्ट्री पालन में यह एक अतिआवश्यक कार्य है.

कैसे करें ब्रूडर का निर्माण (How to make brooder)

1. नवजात पक्षियों के आने से पहले फर्श पर कागज के उपर छोटे आकार की मक्की बिछा देनी चाहिए.

2. बेहतर परिणाम के लिए उबले हुए ठंडे पानी में इलेक्ट्रोलाईट एंव एनरोफलोक्सेसिन जैसी एंटीबायोटिक मिलाएं.

3. प्रत्येक ब्रूडर में चूजों को सामान्य रूप से बांटे.

4. चूजों को ब्रूडर में डालने से पहले पानी में उनकी चोंच का पैमाना तय करें.

5. पहले तीन में से दो दिन मक्की का बूरा और तीसरे दिन छोटे-छोटे मक्की के दाने कम मात्रा में दें. तीसरे दिन के बाद मक्की में प्री-स्टार्टर फीड मिलाना शुरू करें और पांचवें दिन में केवल फीड दें.

6. जमीन पर बिछे कागज अगर गीले हो जाएं तो उन्हें तुरंत बदलें.

7. हर पांचवे दिन कागज आवश्य बदलें.

8. अगर घास का बिस्तर गीला हो जाए तो उसे तुरंत बदलें.

9. पक्षी की आयु के अनुसार ब्रूडर का तापमान समायोजित किया जाना चाहिए.

10. पहले दिन 5 प्रतिशत ग्लूकोज़ का पानी दें. दूसरे से लेकर चौथे दिन तक एनरोफलोक्सेसिन जैसी एंटीबायोटिक एंव विमरलनाम विटामिन पूरक पानी में मिलाकर दें.

11. पानी के बर्तन को प्रति दिन साफ करने उपरांत स्वच्छ एंव ठंडे पानी से भरें.

12. रात को चुगने की प्रतिक्रया को प्रेरित करने के लिए पहले 3 सप्ताह 24 घण्टे रोशनी होना आवश्यक है.

13. बदलते मौसम के प्रभाव से बचने के लिए फार्म की दीवारों पर बोरियां यांतरपालटांग दें.

आयु के अनुसार ब्रूडर का तापमान  (Brooder temperature by age)

1 सप्ताह           105 °F

2 सप्ताह           100 °F

3 सप्ताह           95 °F

4 सप्ताह           90 °F

5 सप्ताह           85 °F

6 सप्ताह           80 °F

7 सप्ताह           75 °F

1. तापमान को कभी भी 75°F से नीचे ना लायें और सातवें सप्ताह पर स्थिर रखें.

2. ब्रूडर का सही तापमान चूजों के व्यवहार पर असर करता है.

3. आरामदायक माहौल में चूजे सामान रूप से फैल जाएंगें.

4. अगर तापमान कम होगा तो वह साथ-साथ झुंड बनालेंगें.

5. ब्रूडर चूजे के आने के 8-10 घण्टे पहले शुरू कर देना चाहिए.

फर्शसीमा (Floor border)

1. चूजे को पर्याप्त फर्श सीमा प्रदान की जानी चाहिए. विकास एंव फीड रूपांतरण अनुपात (एफ सीआर या फीड कन्वर्शन रेश्यो) चूजों की अनुवंशिक क्षमता के साथ साथ फर्श की उपलब्ध सीमा पर भी निर्भर करता है.

2. जमगठ होने से चूजों में तनाव एंव मृत्यु हो सकती है.

3. पहले सप्ताह में हर चूजे के लिए 3 स्क्वायर फीट गहरे घास के बिस्तर की फर्श सीमा होनी चाहिए.

4. छ: सप्ताह बाद 1 स्क्वायर फीट की फर्श सीमा आवश्यक है.

फीड एंव पानी के बर्तन (Feed and water utensils)

1. पहले दिन नवजात चूजों को फीड ट्रे में डाल कर दी जा सकती है.

2. दूसरे दिन गर्त प्रकार के बर्तन में दाना डाला जा सकता है.

3. गर्त फीडरों में एक चूजे को 5 से.मी. की जगह प्रदान करें.

4. इस तरह स्वच्छ एंव ताजा पानी गर्त प्रकार के बर्तन में दिया जा सकता है.

5. 10-15 चूजों के लिए एक ड्रिंकर का प्रयोग करें.

चोंच घिसाना

1. उचित रख रखाव के लिए चोंच घिसना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.

2. यह एक संवेदनशील कार्य है और एक प्रक्षिशित व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए.

3. यह तीसरे हफते में किया जाता है.

4. चोंच घिसने के 2 दिन पहले और 2 दिन बाद तक चूजों को पानी में इलेक्ट्रोलाईट एंव विटामिन के और विटामिन सी मिलाकर देना चाहिए.

5. दूसरी बार चोंच घिसाई 12-14 सप्ताह के बीच किया जाता है जो की अंडे देने वाली मुर्गियों में की जाती है.

6. जहां तक ग्रामीण इलाकों का संबंध है, इन संशोधनों से आय को बढ़ाया जा सकता है

7. बुखारियों को ब्रूडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

8. बिजली कटौती के समय लैंप का इस्तेमाल किया जा सकता है.

9. मक्की, चोकर, चने, रसोई कचरा, बचा हुआ भोजन आदि को विवेकपूर्ण रूप से यौगिक फीड के समान एक फीडस्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

10. केवल एक सप्ताह के लिए एंटीबायोटिक, इलेक्ट्रोलाइट, विटामिन पूरक दें.

11. यदि क्षेत्र रोगों से ग्रस्त है तो टीकाकरण किया जा सकता है, अन्यथा टीके के बिना पालन किया जा सकता है.

12. 28-30 दिनों की उम्र में पक्षियों को बेच दें.

13. ब्रायलर पालन से आय को और बढ़ाने के लिए 25 दिनों में फीड को 10-20 प्रतिशत तक प्रतिबंधित करें.

14. ब्रूडर में बुखारी का प्रयोग

निष्कर्ष

मुर्गी पालन में ब्रूडिंग का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है.चूजों की वजन वृद्धि ब्रूडिंग पर निर्भर करती है.अगर ढंग से ब्रूडिंग हुई है तो मुर्गों में अच्छी वजन वृद्धि देखी गयी है. अच्छी ब्रूडिंग से मृत्युदर में भी कमी आती है जिसका सीधा फायदा किसानो को होता है.

यदि ब्रूडिंग ढंग से ना हो तो चूजों में संक्रमण हो जाता है जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है और यदि मृत्यु ना भी हो तो वह अपना वजन बढ़ा नहीं सकते. किसानों को चाहिए के वह ब्रूडिंग के समय उचित तापमान, सही फीड और फार्म की स्वच्छता का खास ध्यान रखें. यही सफलता की कूंजी है.

लेखक :

डॉ अमनदीप सिंह1, डॉ शेख फिरदौस अहमद 2,डॉ गुरप्रीत कौर 3

1. प्रसार शिक्षा विभाग, भाकृअनुप-भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, उत्तरप्रदेश, 243122

2. पशु अनुवंशिकी विभाग, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, उत्तरप्रदेश, 243122

3. आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग, गुरु अंगददेव पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब, 141004

English Summary: Care of chicks at the time of brooding, get information Published on: 31 October 2018, 05:04 IST

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