बीजों के उन्नत निर्माण के लिए जानी जाने वाली कंपनी सोमानी कनक सीडस आज कई तरह की सब्जियों के बीजों का निर्माण कर रही है. देश के कई हिस्सों में किसान आज सोमानी सीडस के बीज को इस्तेमाल करके अपनी आय को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. देश में बहुत सारी ऐसी कृषि मंडिया है जहां पर सोमानी सीडस के बीज काफी ज्यादा मात्रा में पसंद किए जा रहे हैं. इसकी सफलता को देखते हुए और उनके बीज निर्माण से जुड़ी जानकारी लेने के लिए कृषि जागरण की टीम सोमानी सीडस के उत्पादन प्लांट पर पहुंची जहां पर उनके डायरेक्टर रिसर्च डॉ अर्जुन सिंह से बीजों के निर्माण, प्रक्रिया, पैकेजिंग समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की . टीम ने उनके साथ कृषि संबंधित मामलों पर उनकी राय भी ली और उनकी पूरी कार्यशैली के बारे में विस्तृत तरीके से बातचीत की.
सोमानी सीडस और अपनी यात्रा के बारे में बताइए
सोमानी कनक सीडस कंपनी वर्ष 2013 में बनी है. सोमानी सीडस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के वी सोमानी की बदौलत अपनी एक अलग पहचान बनायीं है उनकी इसी पहचान से कंपनी को जाना जाता है. सोमानी सर महीको में 30-35 साल रहे इससे पहले वह एग्रीकल्चर सेक्टर में टी सेक्टर में काफी बड़ी पोस्ट में काम किया. संग्रो में जब वो रिटायर हुए तो इसकी शुरुआत हुई. हमारी जो टीम प्रोडक्शन में के पी के तिवारी (साउथ में), प्रमोद सिंह ( नॉर्थ में) और एस आर भट्ट (मार्केटिंग) सोमानी सर के साथ 20-20 साल पहले से ही कार्यरत है सोमानी सर के रिटायरमेंट के बाद सभी ने बैठ कर प्लान किया कि सर आपकी और हमारी जो बीज व्यवसाय में नॉलेज है उससे कैसे किसानों को फायदा पहुंचा सकते है. उसके बाद एक ढांचा तैयार किया गया कि एक सोमानी सीडस बनाएंगे उसमें किसानों के लिए एक नये नये उत्पाद टेक्नोलॉजी के साथ और जो हमारा अनुभव है उसके जरिए कैसे किसानों को लाभ पहुंचा सकते हैं . इन सभी बातों पर सोचने के बाद इस कंपनी की स्थापना हुई. हमारी कंपनी के लोगों का सीडस में 20 से 25 साल का अनुभव है जो कि अलग-अलग तरह का है. वर्ष 1997 से 2005 तक गोल्डन एडवांटा ग्रुप में रिसर्च मैनेजर पद पर काम किया और उसके बाद वर्ष 2005 से 2015 पर संग्रो सीडस बेसिका सीड में काम किया. उसके बाद 2015 से आज तक सोमानी सीड से जुड़ चुका हूं. आज हमारा प्रयास यही है कि किसानों को बेहतर से बेहतर उत्पाद प्राप्त हो जिससे किसानों को लाभ हो. नतीजा यह है कि पांच से छह साल की कंपनी की स्थापना के अंदर ही प्रोडक्ट का नाम है.आज किसान कंपनी के नाम से उत्पाद मंगाता है. आज किसान सोमानी के पत्ता गोभी, करेला, मूली, गाजर, आदि के बीज मांगते है. हम हटकर कार्य कर रहे हैं आज हमने 30-35 दिनों में पैदावार देने वाली ऐसी मूली की किस्म विकसित की है जिसे बोने से किसानों को मार्केट में अच्छा दाम मिलता है. आज किसान 4-4 लाख रूपय़े प्रति एकड़ के हिसाब से रूपए कमा रहे हैं और उनको बेहतर किस्म की मूली मिल रही है.
आज किसान भाई हमारे उत्पाद से काफी फायदा ले रहे है और आगे भी ऐसे ही उत्पाद लेकर आते रहेंगे ताकि किसानों को दो पैसे अच्छे मिल सके. हमारी सरकार का भी यही सपना है कि कैसे किसानों की दोगुनी आय की जाए. आज हम टेक्नोलॉजी के साथ काम कर रहे हैं हमारा रिसर्च एवं अनुसन्धान केंद्र डीएसआईआर से प्रमाणित है. चार जगह पर आरएनडी के स्टेशन है क्योंकि हर जगह के क्लाईमेट अलग-अलग है. एक की लोकेशन सोनीपत में है, दूसरी लोकेशन पंजाब है, दक्षिण में रानीवेन्यूर में हमारी लोकेशन है क्योंकि उत्तर और दक्षिण में क्लाईमेट अलग है. तो कुछ क्रॉप हम वहां ब्रीडिग करते है और आखिरी उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अनुसन्धान केंद्र है. तो इस तरह हमारे चार रिसर्च स्टेशन है और हर उत्पाद को किसान की उपयोगिता के हिसाब से डिजाइन करते हैं, डिजाइन करने के बाद हम अपने फार्म में टेस्ट करते है और बाद में उसे तीन साल मार्केटिंग टीम के सहारे हिसाब से किसान के खेत में लगवाते है और जिस कंपनी का लीडिग प्रोडक्ट भी लगाते है जब किसान उससे पूरी तरह से संतुष्ट होता है तभी उसे मार्केट में उतराते है. उसके बाद किसान से हम पूछते है कि आपने यह उत्पाद क्यों चुना और आपको इसमें क्या खासियत लगी. केवल एक किसान नहीं कम से कम 20-40 किसानों का हम डेटा लेते हैं उनकी रिपोर्ट के आधार पर पूरी कमेटी बैठती है उसके बाद ही हम अपने उत्पाद को लांच करते है. ऐसा नहीं है हमारे 50 प्रोडक्ट है तो जरूरी नहीं है उसमें सारे प्रोडक्ट ही पास हो जो प्रोडक्ट पास होता है उसी प्रोडक्ट को हम बाजार में आगे बढ़ाते है.
कितने राज्यों के किसान आपकी कंपनी के साथ जुड़े हुए है?
लगभग भारत के कुछ राज्य को छोड़कर जैसे कि महाराष्ट्र के अलावा उत्तर भारत की बात करें तो हम पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, कुछ हिस्सा कर्नाटक का शामिल है. यह हमारे सभी देश के राज्य है इसके अलावा कुछ देशों में बीज हम एक्सपोर्ट करते है. हमारी कोशिश पूरी है कि हम पूरे भारत देश के हर किसान को कंपनी का बीज उपलब्ध करा सके .
मूली की किस्म के बारे में बताइए !
हमारे पास मूली की चार किस्म है. दो किस्में 30 से 45 दिनों में ही तैयार हो जाती है और चाहे कितनी ही गर्मी हो उसमें भी वह तैयार हो जाती है. तीसरी किस्म 40 दिन में तैयार होती है इसका पत्ता थोड़ा कटुवा पत्ता होता है लेकिन उसमें कांटे नहीं होते है. बाकी कंपनी जो अपना प्रोडक्ट दे रही है उनके मूली में कांटे होते है लेकिन हमारे प्रोडक्ट में ऐसा कुछ नहीं है. उनके कटुवा पत्ते में जो भी प्रोडक्ट 50 से 60 दिन में तैयार हो जाता है लेकिन हमारा प्रोडक्ट 40 दिन में ही तैयार हो जाता है. सिर्फ हम इसी चीज पर काम कर रहे है कि दोनो सेगमेंट में अगर 10 दिन या 15 दिन पहले हमारा जो प्रोडक्ट आ रहा है किसान जो खेत में दो दिन भी अपना क्रॉप रखता है जो उसको काफी खर्चा वहन करना पड़ता है. चौथा प्रोडक्ट हमारा सर्दियों का है उसमें बाकी कंपनियों से पहले प्रोडक्ट आता है और उसकी जो जड़ है वह खाने लायक होती है वह देखने में सफेद होती है. किसान उसे मंडी में ले जाता है और सबसे पहले सोमानी सीडस पर सबसे ज्यादा पकड़ मजबूत हो रही है.
गर्मियों के सीजन के हिसाब से कौन से उत्पाद है ?
गर्मियों के सीजन में बुआई के लिए हमारे पास फूलगोभी, मूली तो है ही ,भिंडी और हमारे देश में कहीं-कहीं क्लाईमेट अलग है इसीलिए अलग-अलग बुवाई की जा रही है क्योंकि सभी का समय अलग होता है. बैंगन भी लगाई जा रही है. एक माह बरसात होगी तो इसके गोभी के अलावा पत्ता गोभी की किस्म भी उसमें बढ़ जाएगी. इसके अलावा टमाटर और मिर्च भी बढ़ जाएगी. तो इस तरह से हर महीने किसानों की बुवाई के लिए हमारे पास उत्पाद उपलब्ध है.
कोई ऐसा उत्पाद जिस पर आप लगातार रिसर्च कर रहे हैं, उसके बारे में जानकारी दें !
रिसर्च एक ऐसी चीज है जो कभी बंद नहीं होती है हर समय आगे की सोच करके रिसर्च की जाती है. जैसे कि मैं आपको एक उदाहरण के तौर पर बताऊं अभी गाजर की बुवाई अगस्त अंत से लेकर अक्टूबर तक होती है. अब हम सोच रहे कि एक ऐसी गाजर दें किसानों को जो अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक बिजाई करें. मार्च से लेकर जून तक किसानों को गाजर मिलें. इसीलिए हम ऐसी गाजर की किस्म पर काम कर रहे है ताकि किसानों को जो कि गर्मियों के सीजन में भी आसानी से मिलें. गर्मी वाली गाजर लाएंगे ऐसा ही हमनें गोभी की किस्म में किया है पहले आप देखते थे सिंतबर से लेकर जनवरी फरवरी तक आपको बाजार में मिलती थी. लेकिन आज बाजार में गोभी 12 महीने में मिल रही है. आज इतने तापमान में भी फूलगोभी की कटाई हो रही है इसलिए हमारा उद्देश्य है कि किसानों को 12 महीने सब्जियों के बीज उपलब्ध होते रहे ताकि उनको बेहतर उत्पाद मिलते रहें.
किसानों की आय को दोगुना करने और उनके जीवन स्तर को कैसे सुधार सकते है ?
अपका सवाल बिल्कुल सही है....(थोड़ा मुस्कुराकर) मैंने पहले भी कहा था कि सरकार भी देश के किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों में लगी है. कैसे किसानों की आय बढ़ाए. इसमें बीज का अहम रोल होता है अगर किसानों को सही बीज सही समय पर मिल जाए तो उनकी पैदावार निश्चित बढ़ेगी. दूसरे किसानों को अपनी खेती करने के तरीके में बदलाव लाना है क्योंकि जनसंख्या के बढ़ने के साथ ही जो हमारी खेती की जमीन है वह धीरे-धीरे कम होती जा रही है तो कम जमीन से ज्यादा उपज कैसे ले उसके लिए कुछ किसान भाई जैसे कई राज्यों में अच्छा काम कर रहे है प्रोटेक्टिव कल्टीवेशन कर रहे हैं जैसे पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस लगाकर उसके अंदर कम जगह में अच्छी उपज ले रहे है जैसे खीरा, टमाटर, शिमला मिर्च आदि ले रहे है. सही समय पर हमारी यही कोशिश है कि शॉर्ट डयुरेशन वाली जैसे कोई 40 दिन की है तो उसे 30 दिन वाली क्रॉप देंगे. ताकि कोई किसान अगर एक साल में 4 सब्जी लगाता है तो वह इसके सहारे 6 सब्जी भी लगा सकता है. इस तरह से वह कम जमीन में ज्यादा उपज देकर अपनी आमदनी को दोगुना कर सकता है.
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