उत्तर प्रदेश के किसान भाईयों के लिए आने वाला समय बहुत अच्छा होगा, क्योंकि किसान अपने खेत में कृषि उपज के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन कर सकते है. जिससे किसानों की आय बढ़ेगी, साथ ही प्रदेश के विकास की गाड़ी में ईंधन भी उनके खेत का होगा. मोदी सरकार ने उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान (कुसुम) योजना का आगाज किया है. ये योजना बिजली के संकट से जूझते इलाकों को ध्यान में रखकर शुरू की है. इस योजना के तहत देशभर में सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी डीजल/बिजली के पंप को सोलर ऊर्जा से चलाने की योजना है. केंद्र सरकार ने अपने आम बजट 2018-19 में कुसुम योजना का एलान किया. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने विश्व एवं राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में यूपीनेडा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कुसुम योजना का ज्रिक किया और इस योजना के लाभ बताए.
कुसुम योजना का उद्देश्य
किसान भाईयों को खेती करते वक्त सिंचाई में काफी परेशानी होती है. किसानों की फसल को ज्यादा या कम बारिश से नुसकान पहुंचता है. इस योजना से किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. खाय बात ये है कि किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है.
कुसुम योजना के लिए सरकार की तैयारी
इस योजना की सफलता के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है. सराकार देश में तीन करोड़ सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सौर ऊर्जा से चलाने का प्रयास कर रही है. ये प्लान साल 2022 तक पूरा करना चाहती है. आपको बता दें कि सरकार ने आम बजट में इस योजना के लिए करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये की लागत रखी है. इस योजना के लिए केंद्र सरकार 48 हजार करोड़ रुपये का योगदान करेगी और इतनी ही राशि राज्य सरकार देगी. इस योजना के तहत किसानों को सोलर पंप की कुल लागत का सिर्फ 10 फीसदी खर्च ही उठाना होगा. खास बात है कि इस योजना के लिए करीब 45 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम बैंक लोन के माध्यम से किया जाएगा.
कुसुम के पहला चरण
इस योजना के पहले चरण में किसानों के डीजल से चल रहे सिंचाई पंपों को शामिल किया जाएगा. सरकार का कहना है कि इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी. जिससे डीजल की खपत और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगेगी.
कुसुम योजना से फायदा
इस योजना से किसान भाई काफी लाभ उठा सकते है. सबसे पहले किसानों को सिंचाई के लिए फ्री बिजली मिलेगी, तो वहीं किसान अपने खेत में बिजली बनाकर ग्रिड को भेज सकते हैं. जिससे वह मुनाफा भी कमा सकेंगे. अगर किसी किसान की भूमि बंजर है, तो इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कर सकता है. जिससे बंजर जमीन से भी आमदनी होगी. सरकार का मानना है कि अगर देश के सभी सिंचाई पंप में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होगा, तो बिजली की बचत के साथ-साथ करीब 28 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी हो सकता है.
कुसुम योजना का लक्ष्य
सरकार का लक्ष्य है कि देशभर में करीब 27.5 लाख सोलर पंप सेट मुफ्त दिए जाएंगे. यह योजना इस साल जुलाई से शुरू हो चुकी है. जिन इलाके में बिजली ग्रिड नहीं है वहां कुसुम योजना के तहत किसानों को 17.5 लाख सौर पंप सेट दिए जाएंगे. जिन जगहों पर बिजली ग्रिड है, वहां किसानों को 10 लाख पंप सेट दिए जाएंगे. इस योजना के अगले चरण में सरकार किसानों को उनके खेतों के ऊपर या खेतों की मेड़ पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा बनाने की छूट देगी. इस योजना के तहत 10,000 मेगावाट के सोलर इनर्जी प्लांट किसानों की बंजर भूमि पर लगाये जायेंगे.
कुसुम योजना की खास बातें
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इस योजना के तहत सौर ऊर्जा के लिए प्लांट बंजर भूमि पर लगेंगे.
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सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 60% रकम देगी.
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बैंक किसानों को लोन के रूप में 30% रकम देगा.
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किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी की रकम मिलेगी.
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किसानों को केवल 10% राशि का भुगतान करना पड़ेगा.
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