बीते कुछ सालों से कच्चे मशरूम (Mushroom Cultivation) के साथ-साथ इसके संवर्धित उत्पादों की डिमांड तेजी से बढ़ी है. यही वजह है कि आने वाले समय में युवाओं के लिए मशरूम प्रोसेसिंग बिजनेस आय का बेहतर विकल्प हो सकता है.
इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश स्थित उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग युवाओं को मशरूम उत्पादन के साथ इसके वैल्यू एडिशन का प्रशिक्षण दे रहा है. जिसमें यूपी के अलावा महाराष्ट्र (मुंबई), मध्य प्रदेश (ग्वालियर), बिहार आदि जगहों के युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. पिछले 5 सालों से संस्थान मशरूम के उत्पादन के साथ वैल्यू एडिशन के लिए ट्रेनिंग प्रोवाइड कर रहा है.
संस्थान में मशरूम संवर्धित उत्पाद तैयार करने के लिए लैब की भी स्थापना की गई है. तो आइए जानते हैं मशरूम के वैल्यू एडिशन में क्या संभावनाएं है? इससे तैयार उत्पाद से कैसे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है-
मशरूम बर्गर, सूप और सैंडविच की डिमांड
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डॉ रवीन्द्र कुमार तोमर ने कृषि जागरण को बताया, ''मशरूम की वैल्यू एडिशन के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. जो किसान बेहद कम संसाधनों के साथ खेती कर रहे हैं उनके लिए मशरूम की खेती लाभ का धंधा बन सकती है.''
उन्होंने बताया, ''इसके उत्पादन के साथ इससे संवर्धित उत्पादों का निर्माण करके अच्छी कमाई की जा सकती है. इनदिनों बेकरी उद्योग (Bakery Industry) में मशरूम का काफी महत्व है. इसके पाउडर का उपयोग कई खाद्य उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है. जैसे मशरूम पाउडर से निर्मित बर्गर, बिस्कुट, पकौड़ी, लड्डू, सूप, सैंडविच, श्रीखंड आदि उत्पादों की अच्छी डिमांड है. बेकरी उद्योग के अलावा, इसके संवर्धित उत्पादों का निर्माण करके युवा अच्छी कमाई कर सकते हैं.''
ढिंगरी या ऑयस्टर मशरूम बेहद उपयोगी
डॉ. तोमर ने बताया, ''वैसे तो सभी प्रकार के मशरूम को संवर्धित उत्पादों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि ढिंगरी या ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन आसान होता है. किसान इसके संवर्धित उत्पादों का निर्माण कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. दरअसल, बटन मशरूम के उत्पादन के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान मेंटेन रखना पड़ता है. इसके लिए कूलर और ए.सी. का उपयोग किया जाता है, जो खर्चीला होता है. वहीं ढिंगरी मशरूम को सामान्य तापमान यानी 35 से 40 डिग्री सेल्सियस पर भी आसानी से उगाया जा सकता है. वहीं इसकी न्यूट्रिएंट्स वैल्यू भी अच्छी होती है. संस्थान युवाओं को मशरूम के वैल्यू एडिशन के लिए 3 दिनों का प्रशिक्षण देता है.''
45 से 60 दिनों का फसल चक्र
गौरतलब है कि ढिंगरी मशरूम को कृषि अवशिष्टों पर आसानी से उगाया जा सकता है. मशरूम की दूसरी किस्मों की तुलना में इसमें विटामीन, लवण तथा औषधीय तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. साथ ही ढिंगरी मशरूम को सालभर यानी गर्मी, सर्दी या बारिश हर मौसम में उगाया जा सकता है. इसका फसल चक्र 45 से 60 दिनों का होता है. एक किलोग्राम ढिंगरी उत्पादन में 15 से 20 की लागत पड़ती है. वहीं इसका बाजार मूल्य 100 से 150 रूपए तक होता है.
कुछ प्रमुख खाद्य एवं औषधीय मशरूम की प्रजातियां
1. एगेरिकस बाइसपोरस-इसका प्रचलित नाम श्वेत बटन मशरूम है. इसके बीज फैलाव के लिए 22 से 25 डिग्री सेल्सियस तथा फलन के लिए 14 से 18 डिग्री तापमान अनुकूल होता है.
2. एगेरिकस बाइटॉरकिस-यह ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम की प्रजाति है. इसके बीज फैलाव के लिए 28-30 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा फलन के लिए 25-26 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए.
3. कैलोसाइब इंडिका-यह श्वेत दूधिया मशरूम की प्रजाति है, इसके बीज फैलाव के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तथा फलन के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है.
4. प्लूरोटस फ्लोरिडा-यह ढिंगरी मशरूम की प्रजाति है. बीज फैलाव के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तथा फलन के लिए 18-22 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है.
5. प्लूरोटस सजोर काजू-यह भी ढिंगरी मशरूम की प्रजाति है. इसके बीज फैलाव के लिए 25-32 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा फलन के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है.
6.वॉल्वेरियेला बॉल्वेसिया-यह पराली मशरूम की प्रजाति है जिसके बीज फैलाव के लिए 32-34 तथा फलन हेतु 28-32 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है.
7. लेन्टीनुमा इडोड्स-शिटाके मशरूम की इस प्रजाति के बीज फैलाव के लिए 22-27 डिग्री सेल्सियस तथा फलन के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है.
8. गैनोडर्मा ल्यूसिडम-रिशी मशरूम की इस प्रजाति के लिए बीज फैलाव तथा फलन के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त होता है.
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