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सामूहिक रूप से वनों के संरक्षण के साथ हो रही काली मिर्च

छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर जिला वन संपदा से भरपूर है. साल के ऊंचे घने जंगलों की वजह से इसे साल वनों के द्वीप के नाम से भी जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही यहां की उपजाऊ मिट्टी में कई तरह की औषधीय और मासाला फसलों का उत्पादन संभव है. इसी दिशा में तेजी से काम करते हुए यहां के आदिवासियों ने जंगलों में पेड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए ही काली मिर्च की खेती को शुरू किया है. सामूहिक खेती की तर्ज पर गांव के लोग जंगलों में साल के वृक्षों के सहारे इसकी लताओं को सहेज रहे है. इससे जंगलों में साल के वृक्षों का संरक्षण भी हो रहा है और इसका उत्पादन भी किया जा रहा है.

किशन

छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर जिला वन संपदा से भरपूर है. साल के ऊंचे घने जंगलों की वजह से इसे साल वनों के द्वीप के नाम से भी जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही यहां की उपजाऊ मिट्टी में कई तरह की औषधीय और मासाला फसलों का उत्पादन संभव है. इसी दिशा में तेजी से काम करते हुए यहां के आदिवासियों ने जंगलों में पेड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए ही काली मिर्च की खेती को शुरू किया है. सामूहिक खेती की तर्ज पर गांव के लोग जंगलों में साल के वृक्षों के सहारे इसकी लताओं को सहेज रहे है. इससे जंगलों में साल के वृक्षों का संरक्षण भी हो रहा है और इसका उत्पादन भी किया जा रहा है.

ग्रामीण वाले कर रहे काली मिर्च की खेती

बता दें कि छत्तीसगढ़ में वनों के अतिक्रमण के चलते वन सिमटने लगा है, जिससे साल दर साल आसपास के क्षेत्र से वनों का सफाया होने लगा है. तेजी से घटते साल वनों को देखकर पिछले दो वर्षों से यहां की महिलाओं ने वनों की सुरक्षा का बीड़ा उठाया है. आज वह बारी-बारी से समूह बनाकर प्रतिदन वनों की रखवाली कर रही है, इसका काम में  पुरूष भी उनका साथ देने लगे हुए है. समाजसेवी हरीसिंग सीदर बताते है कि  वनों की रखवाली करते ग्रामीण से मिलकर वनों में रोजगार उपलब्ध कराने, वनों के अंदर काली मिर्च को उगाने की बात कही जिसे ग्रामीण वालों ने स्वीकार कर लिया. यहां के गांव में निवासरत 72 परिवार गांव के पास स्थित वन में 59 हजार मिश्रित पेड़ों की गिनती करके काली मिर्च को उगा रहे है. अभी तक कुल पांच हाजर पेड़ लगाए जा चुके है.

बस्तर की जलवायु काली मिर्च के अनुकूल

काली मिर्च दक्षिण भारतीय मसाला पौधा है, लेकिन बस्तर की आर्द्र जलवायु और यहां की जंगली काली मिट्टी पौधे के लिए उपयुक्त है. जंगली मिट्टी में पौधों का विकास काफी अच्छा होता है, यहां की जंगली मिट्टी का पीएच 6 से 7 रहता है. पौधा के लिए तापमान 25 से 30 अंश होता है. यहां पर पौधों की लताओं को काटकर नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे है. यहां पेड़ का सहारा देकर तैय़ार पौधे की रोपाई करते है. वनों के बीच काली मिर्च की खेती करने से इनकी खेती में लगने वाली लागत भी काफी कम हो गई है.

जानिए क्या है काली मिर्च

काली मिर्च एक लता वर्गी पौधा होता है. इसको विकसित होने में तीन से चार वर्ष का समय लगता है. प्रति पौधा शुरूआत में लगभग तीन किलों तक फल देने लगता है.यदि कोई भी किसान एक एकड़ में काली मिर्च की खेती करता है तो इसमें लगभग 15 सौ से ज्यादा पौधे लगेगे. इसमें प्रति किलो 500 की दर से बिकने पर शुरूआत में किसान को प्रति एकड़ में लगभग 2 लाख से ज्यादा की वार्षिक आय प्राप्त होगी. साथ ही पौधे के बढ़ने के साथ ही बीज की मात्रा 14 से 15 किलो तक बढ़ती जाएगी.

English Summary: Women are presenting a new example by cultivating black pepper collectively Published on: 01 October 2019, 01:00 PM IST

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