पौधों की वृद्धि के लिए रसायनिक दवा या उत्पाद के अलावा जैविक माध्यम से भी फसल की बढ़वार और पोषक तत्वों की पूर्ती की जा सकती है. इन जैविक तरीकों से उत्पाद भी रसायन मुक्त (Chemical free) होता है और मिट्टी की संरचना भी अच्छी होती है. जैविक विधि से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, जिससे ये सूक्ष्म जीव मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध अवस्था में प्रदान करते हैं. ये जैविक (Organic) तरीके कुछ इस प्रकार है -
गोबर गैस घोल (Gobar gas slurry)
ताजा खाद बनाने वाले संयंत्र में 1.5-2% नाइट्रोजन (N) पाई जाती है. 200 लीटर पानी में 20 किलो खाद मिलाएं. पौधे की जड़ के पास छिड़काव करके इस मिश्रण का उपयोग करें. यदि इस मिश्रण को सूती कपड़े (cotton cloth) में छान लिया जाता है और फिर इसका उपयोग स्प्रे के रूप में भी किया जा सकता है जिससे फल और फूलों की अधिक उपज प्राप्त होती है.
गौमूत्र (Urine)
गोमूत्र में कीड़ों को मारने और उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की शक्ति होती है. एक 15 लीटर स्प्रे पंप में 250 मिली गौमूत्र को मिलाए और पौधों पर छिड़काव करें. लौकी, घीया, तरबूज, खरबूज, करेला जैसी बेल वाली फसलों (gourd family) में 15 लीटर स्प्रे पंप में 150 मिली गौमूत्र को मिलाकर फसल पर स्प्रे कर दे.
पॉट खाद (Pot manure)
एक पॉट खाद को 300 लीटर पानी में अच्छी तरह से मिलाया जाता है, और यह घोल पौधे की मिट्टी के पास दिया जाता है जिससे फसल की बढ़वार में अच्छे परिणाम दिखाई देते है साथ हे साथ उपज और फल और फूलों की संख्या में बढ़तरी होती है.
वर्मीवाश (Vermiwash)
केंचुआ खाद बनने पर नीचे से जो तरल पदार्थ बनता है उसे वर्मीवाश कहते है. इस 250-500 मिली लिक्विड को 15 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव किया जाता है. हर 15- 20 दिनों के बाद छिड़काव को दोहराना अच्छा होता है.
सोयाबीन टॉनिक का प्रयोग (Soybean tonic)
सोयाबीन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, कैल्शियम, सल्फर (Nitrogen, Calcium, Sulphur) आदि तत्व मौजूद होते हैं. इसका उपयोग पौधों की वृद्धि के लिए किया जा सकता है. इसके लिए सोयाबीन के 1 किलो बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है. 24 घंटे के बाद सोयाबीन के बीज मिक्सर में कुचल दिए जाते हैं. अब कुचले हुए एक किलो सोयाबीन में 4 लीटर पानी और 250 ग्राम गुड़ मिलाएं. इस मिश्रण को बर्तन में 3-4 दिनों के लिए रख दें. मिश्रण को सूती कपड़े की मदद से छान लिया जाता है. इस मिश्रण का उपयोग 15 लीटर की पानी की टंकी में किया जा सकता है. पौधों पर इसका छिड़काव पौधे की वृद्धि और विकास के लिए किया जाता है.
ताजा लस्सी (Fresh lassi)
500 मिली ताजी लस्सी को 15 लीटर की पानी की टंकी में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. इससे पौधे की अच्छी वृद्धि और विकास में मदद मिलेगी.
गाय का दूध (Cow’s milk):
250 मिली देशी गाय के दूध को लेकर उसे 15 लीटर पानी की दर से मिलाएं और फसल पर छिड़काव करें. इस मिश्रण से पौधे की अच्छी वृद्धि होगी.
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