फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए हम कई तरह की खादों या कई तरह की अन्य दवाइयों का प्रयोग करते रहते हैं लेकिन फिर भी कई बार फसल अच्छी नहीं होती है. इसके पीछे कई कारण होते हैं. हमको किसी भी फसल के उत्पादन से पहले यह जान लेना चाहिए कि आप जिस फसल का उत्पादन करने जा रहे हैं उसके लिए खेत की मिट्टी उपयुक्त है या नहीं. तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि भारत में कौन सी मिट्टियां प्रमुख होती हैं और किस मिट्टी के लिए कौन सी फसल सही है.
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लाल मिट्टी (Red Soil)
लाल मिट्टी भारत में व्यापक रूप से पायी जाती है और खेती के लिए उपयुक्त होती है. यह मिट्टी उच्च क्षेत्रीय नमी और पौष्टिकता के साथ रहती है. इसमें आलू, गन्ना, खरबूजा, भिंडी और गेहूं जैसी फसलें उपयुक्त होती हैं. लाल मिट्टी में निम्न तत्व पाए जाते हैं.
लोहा (Iron): लाल मिट्टी में उच्च मात्रा में लोहा पाया जाता है. यह उपजाऊता में मदद करता है और पौधों को ऊर्जा प्रदान करता है.
आर्गिल (Clay): लाल मिट्टी में उच्च मात्रा में आर्गिल (Clay) पाया जाता है. यह मिट्टी को मृदा में गाढ़ा करता है और पानी को अच्छी तरह संचालित करता है.
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कैल्शियम (Calcium): लाल मिट्टी में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है. यह पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है.
पोटैशियम (Potassium): लाल मिट्टी में पोटैशियम की भी उच्च मात्रा पायी जाती है. यह पौधों के लिए उपयुक्त होता है और उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है.
माटी मिट्टी (Clay Soil)
माटी मिट्टी में मिट्टी की गाद्दे बहुत अधिक होती हैं, जिसके कारण यह मूँगफली, गेहूं, चावल, तंदूरी गुलाब, टमाटर और मक्का जैसी फसलों के लिए उपयुक्त होती है. यह मिट्टी आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है लेकिन सुखाने पर इसका दुष्प्रभाव भी होता है.
गाद्दा (Silt): माटी मिट्टी में गाद्दा का प्रमुख तत्व होता है. यह मिट्टी को मुलायम बनाता है और इसमें धारण करने की क्षमता प्रदान करता है. गाद्दा की मात्रा माटी के रंग और गुणों पर प्रभाव डालती है.
मृदा (Clay): मृदा माटी में प्रमुख तत्व है और इसे माटी का रंग देता है. मृदा चिकनी और पानी संचालित करने की क्षमता रखती है. यह मिट्टी पोषक तत्वों को संचालित करती है और पौधों के विकास में मदद करती है.
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रेत (Sand): माटी मिट्टी में थोड़ी मात्रा में रेत पायी जाती है. रेत चिकनी मिट्टी को उच्चतम संचालन करने में मदद करती है और जल वायु संचालन को बेहतर बनाती है.
कीटाणु (Microorganisms): माटी मिट्टी में कीटाणुओं की मात्रा होती है, जिनका महत्वपूर्ण योगदान पौधों के पोषण में होता है. कीटाणु माटी के संरचना को संतुलित रखते हैं और पौधों के लिए पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं.
अपार खनिज (Inorganic Minerals): माटी मिट्टी में विभिन्न अपार खनिज तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि क्ले, चिकनी मिट्टी, लोहे की थान, दोलोमाइट, कैल्शियम कार्बोनेट, और विभिन्न धातुओं के अवशेष. ये खनिज तत्व माटी की विशेषताओं और पौधों के लिए पोषकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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सियोलाइट (Laterite Soil)
सियोलाइट मिट्टी उच्च तापमान और उच्च वर्षा क्षेत्रों में पायी जाती है. यह मिट्टी अच्छी ड्रेनेज़ सुविधा देती है और उच्च फोस्फोरस और पोटैशियम की मात्रा होती है. इसमें चावल, कॉफ़ी, चाय, ताड़ और तेल बिजली जैसी फसलें उपयुक्त होती हैं. इसमें निम्न तत्व पाए जाते हैं
लेटराइट (Laterite): लेटराइट मिट्टी का प्रमुख तत्व है और इसे इसकी खास रंगत्व और संरचना प्रदान करता है. इसका रंग पहले से ही कमजोर रहता है और इसमें तत्वों की कमी होती है.
लोहे (Iron): सियोलाइट में लोहे का अधिकांश हिस्सा पाया जाता है. इससे मिट्टी का रंग लाल-कीचड़ी होता है.
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अपार खनिज (Inorganic Minerals): सियोलाइट मिट्टी में अन्य अपार खनिज तत्व भी पाए जाते हैं, जैसे कि आयरन ऑक्साइड, एल्युमिनियम ऑक्साइड, फॉस्फेट, और पोटैशियम.
अजरणीय पदार्थ (Impermeable Material): सियोलाइट में अजरणीय पदार्थ होता है जो पानी को वायुमुक्त बनाता है और मिट्टी को खुश्क रखने में मदद करता है.
आर्गिल (Argillaceous Material): सियोलाइट में आर्गिल पाया जाता है जो मिट्टी को मुलायम बनाता है और पानी की संचारण क्षमता प्रदान करता है.
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मारू बालू (Desert Soil)
मारू बालू राजस्थान और पश्चिमी भारत के रेगिस्तानी क्षेत्रों में पायी जाती है. यह मिट्टी सूखे के प्रभाव के कारण कम उपजाऊ होती है, लेकिन इसमें आंवला, बाजरा, ज्वार और कपास जैसी फसलें उपयुक्त होती हैं. इसमें निम्न तत्व पाए जाते हैं
रेत (Sand): यह मिट्टी का प्रमुख तत्व है और उसकी मुख्यता होती है. मारू मिट्टी में रेत की अधिकता होती है जो इसे खारे और द्रव संचारित करने वाली बनाती है.
लोहा (Iron): मारू मिट्टी में लोहे का तत्व पाया जाता है, जो मिट्टी को लाल रंग देता है. इसके अलावा, लोहा पौधों के लिए महत्त्वपूर्ण धातु है जो उन्हें ऊर्जा प्रदान करती है और उनके विकास में मदद करती है.
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मिट्टी का मिश्रण (Sandy Loam): मारू मिट्टी में मिट्टी का मिश्रण पाया जाता है जिसमें रेत, गाद्दा, और मृदा होते हैं. यह मिट्टी अच्छी ड्रेनेज़ क्षमता प्रदान करती है और पानी को भलीभांति संचालित करती है.
एक्सेसियरी मिनरल्स (Accessory Minerals): मारू मिट्टी में अन्य छोटे धातु तत्व और अक्रेसरी मिनरल्स भी पाये जाते हैं जैसे कि फेल्डस्पार, क्वार्ट्ज, मिका, गैर-संपर्क घटक और अन्य धातु तत्व. ये तत्व मिट्टी की विशेषता और उपजाऊता में भूमिका निभाते हैं.
मृदा मिट्टी (Loamy Soil)
मृदा मिट्टी उपजाऊ और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मिट्टी है. यह मिट्टी रेतीली, गाद्दे और मिट्टी का मिश्रण होती है जिसमें नींबू, अंगूर, गेहूं, जौ, तिल, चना, आलू और बादाम जैसी फसलें उपयुक्त होती हैं.
रेत (Sand): मृदा मिट्टी में रेत की उच्च मात्रा होती है. रेत मिट्टी को उच्चतम निस्तारण दर और अच्छी सुरंगी व्याप्ति प्रदान करती है. यह मिट्टी को नमीयां बनाती है और जल संचारण की क्षमता प्रदान करती है.
मृदा (Clay): मृदा मिट्टी में मृदा की मात्रा मध्यम होती है. यह मिट्टी को मुलायम बनाती है और पानी संचारण की क्षमता प्रदान करती है.
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गाद्दा (Silt): मृदा मिट्टी में गाद्दा की मात्रा भी मध्यम होती है. गाद्दा मिट्टी को मधुर और सुलभता प्रदान करता है और उसकी फसलों के विकास में मदद करता है.
खाद्यानुकरण (Organic Matter): मृदा मिट्टी में अच्छी मात्रा में खाद्यानुकरण यानी जैविक पदार्थ पाए जाते हैं. इससे मिट्टी को पोषक तत्व मिलते हैं और फसलों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
प्राकृतिक खनिज (Natural Minerals): मृदा मिट्टी में विभिन्न प्राकृतिक खनिज तत्व भी पाए जाते हैं, जैसे कि पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और नाइट्रोजन आदि. ये तत्व मिट्टी की ऊर्जा संतुलन को स्थायी रखते हैं और पौधों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं.
मिट्टी की यह जानकारी आपको फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए बहुत ही आवश्यक होगी.
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