
रबी फसलों की शुरुआत के साथ ही राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के किसान सरसों की बुवाई में तेजी ला रहे हैं. देश के कई हिस्सों में यह प्रमुख तिलहन फसल न सिर्फ तेल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने का बड़ा साधन भी बन चुकी है.
आज के समय में किसान पारंपरिक किस्मों से हटकर उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों को अपनाने लगे हैं, जो अधिक उपज देने के साथ-साथ तेल की मात्रा भी बढ़ाती हैं. कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि अगर किसान अपनी मिट्टी और जलवायु के अनुसार सही किस्म का चुनाव करें, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन और बेहतर दाम प्राप्त हो सकते हैं.
सरसों की उत्तम किस्में
आरएच-749 सरसों की किस्म
यह किस्म राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए खरा सोना है. अगर इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म की खेती करें, तो वे अधिक कमाई कर सकते हैं. इस किस्म की विशेषता है कि इसमें दाने का आकार अच्छा होता है और तेल की मात्रा भी अधिक होती है. साथ ही यह किस्म किसानों को मंडियों में बेहतर कीमत दिला सकती है.
पूसा बोल्ड (Pusa Bold)
देशभर के किसान इस किस्म को भरोसेमंद साथी मानते हैं क्योंकि यह सिंचित क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त है. इस किस्म की औसतन उपज 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है और इसमें तेल की मात्रा 40% से भी अधिक पाई जाती है.
आरएच-8812 (लक्ष्मी)
सरसों की यह किस्म लंबी कद वाली होती है, जिसके पौधों में अधिक शाखाएं और फलियां पाई जाती हैं. इसकी खासियत यह है कि पौधों का विकास समान रूप से होता है और फलियां बड़े आकार की होती हैं. यह किस्म किसानों को लगभग 16–18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देने में सक्षम है, जिससे उन्हें अच्छे दाम मिल सकते हैं.
वरुणा (T-59) सरसों की किस्म
यह किस्म किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक है. यह अगेती और पछेती दोनों बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती है और सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करती है. यह किस्म लगभग 140-150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी खासियत यह है कि पौधा मजबूत होता है, जिससे फसल रोगों से सुरक्षित रहती है.
आरएच-1706 और आरजीएन-73 ए
सरसों की ये किस्में अच्छी उपज देने वाली भारतीय किस्में हैं. इनकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है. किसान अगर बुवाई से पहले बीजोपचार करें, तो फसल को रोगों से बचाया जा सकता है. आरएच-1706 किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 25–27 क्विंटल उपज देती है. ये दोनों ही उत्तम किस्में हैं, जो अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफा देने में सक्षम हैं.
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