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फसलों को नुकसान पहुंचाता है यह कीट

पिछले 12 सालों से अमेरिका की सौ से अधिक प्रजाति की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा फॉल वॉल वर्म कर्नाटक के रास्ते अब छत्तीसगढ़ में दाखिल हो गया है। बस्तर जिले के तोकपाल, बकाखंड और बस्तर ब्लॉक के खेतों में ये कीट कृषि विज्ञान केंद्र कुम्हरावंड के वैज्ञानिकों को दिखाई दिए है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र रायपुर के अधिकारियों के साथ कीट प्रभावित ब्लॉक के गांव का निरीक्षण है।

किशन

पिछले 12 सालों से अमेरिका की सौ से अधिक प्रजाति की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा फॉल वॉल वर्म कर्नाटक के रास्ते अब छत्तीसगढ़ में दाखिल हो गया है। बस्तर जिले के तोकपाल, बकाखंड और बस्तर ब्लॉक के खेतों में ये कीट कृषि विज्ञान केंद्र कुम्हरावंड के वैज्ञानिकों को दिखाई दिए है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र रायपुर के अधिकारियों के साथ कीट प्रभावित ब्लॉक के गांव का निरीक्षण है। बस्तर ब्लॉक के बड़ेचकवा में मक्का की फसल पर इस कीट का संक्रमण पाया जाता है।

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विदेशों में फसलों को पहुंचाया नुकसान

यह कीट पिछले एक दशक में अमेरिका और अफ्रीकी देशों में भारी ताबाही मचा चुका है। भारत में इस तरह के कीट की पुष्टि हाल ही में हुई है। यह फिलहाल देश के कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात में पाया गया है। इस नये कीट पर वैज्ञानिकों ने शोध किया गया है। उनके मुताबिक यह 180 प्रकार की फसलों को चट कर जाता है। छत्तसीगढ़ के बस्तर जिले के जिन खेतों में फॉल वर्मी कीट पाया गया है उनमें मक्के की फसल ली जा रही है। आने वाले दिनों में कीट का प्रकोप धान और गन्ने की फसल पर देखा जा सकता है। इसके साथ ही यह कीट गोभी, टमाटर, कपास आदि की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने अपने शोध में इस बात को पाया है कि कीट का आक्रमण मक्के की फसल पर शुरू की अवस्था में ही दिख जाता है। कीट की झल्लियां फसल के पत्तों को खुरचकर खाना शुरू कर देती है।

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तीन माह में चट कर जाता है फसल

यह कीट इतना खतरनाक है कि एक बार अगर किसी फसलों में लग जाए तो उसके साथ अंडे और लार्वा अवस्था से लेकर वयस्क अवस्था तक लेकर लगा रहता है। यह फसल को एक से तीन माह के अंदर पूरी तरह से खाकर नष्ट कर देता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी से लेकर गर्मी के मौसम में इस कीट का ज्यादा प्रकोप रहता है।

अब नहीं है कीट

अमेरिका और अफ्रीका के कृषि वैज्ञानिक पिछले एक दशक से इस कीट से निपटने के लिए कारगार कीटनाशक की खोज में लगे हुए है। कुछ में वह आसानी से सफल भी हुए है, लेकिन ऐसे कीटनाशक का प्रयोग क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुसार ही हो सकता है। भारत में इनका उपयोग होना संभव नहीं है। बस्तर के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कीट तितली की तरह दिखाई देता है, फिलहाल वैज्ञानिकों को इसका वयस्क रूप नहीं मिल पाया है। इसके पिछले हिस्से में काले रंग के धब्बे दिखाई देते है।

English Summary: This pest harms for crops Published on: 30 January 2019, 03:33 PM IST

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