राजस्थान के भरतपुर के गांव मालीपुरा के उदयसिंह सोगरवाल ने ठीक तीन वर्ष पहले हाइब्रिड नींबू की पौध लगाई थी जिसमें अब फल आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि एक बीघा खेत में जैविक खेती द्धारा करीब 4 से 5 हजार रूपये के नींबू की पैदावार हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनके पास लोग प्रतिदिन नींबू खरीदने आते है। इसके सहारे पथरी और रक्तचाप संबंधी मरीजों को काफी फायदा पहुंचता है। उन्होंने बताया कि ये नींबू आम नींबू की तुलना में बेहद ही बड़ा और आकर्षक है और पथरी के मरीजों के लिए रामबाण इलाज है। उदयसिंह ने बताया कि एक नींबू को 10 से 15 रूपये में बेचा जाता है। इसीलिए ज्यादातर उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा से व्यापारी आकर इसे बड़ी मात्रा में खरीद कर ले जाते हैं।
किसान बढ़ा सकते हैं आमदनी
उदय ने बताया कि सभी किसान फसल चक्र से निकल कर बागवानी करें ताकि उनकी आय बढ़ सकें और उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड नींबू की खेती एक ऐसी तकनीक है जिसके सहारे आसानी से मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए सभी तरह की भूमि काफी उपयुक्त मानी जाती है, फिर भी दोमट मिट्टी वाली भूमि जहां पर जल प्रणाली का बेहतर प्रबंधन किया गया हो वहां पर नींबू की खेती को करना सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है। नींबू की खेती के लिए भूमि की गहराई 2.5 मीटर या इससे ज्यादा होनी चाहिए, तभी नींबू को अच्छी वृद्धि और उपज मिलती है। इसके विपरीत कोई भी ऐसी जगह जहां पर मिट्टी व क्षेत्र पर पानी आसानी से जमा हो जाता है, उस जगह को नींबू की खेती के लिए सही नहीं माना जाता है।
अधिक तापमान की जरूरत
नींबू की खेती के लिए गर्म हवा और पाले से मुक्त क्षेत्र को काफी अच्छा माना जाता है। नींबू की काफी अच्छी वृद्धि उत्पादन के लिए 29 से 32 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए। इसके लिए औसत वर्षा 750 एमएम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उदयसिंह का कहना है कि बाजार में कई तरह के नींबू उपलब्ध है, जिनकी बाजार में काफी अच्छी मांग है। कागजी नींबू, प्रमालिनी नींबू, विक्रम नींबू, चक्रधर नींबू, साई सर्बती, सीडलेस नींबू अच्छी किस्म की वैरायटियां हैं। चक्रधर नींबू में बीज नहीं होते और इसके फल से लगभग 65% रस निकलता है। उदयसिंह ने बताया कि नींबू गठिया, हैजा व मलेरिया रोग में लाभकारी है।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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