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लीची एक फल के रूप में जाना जाता है. जीनस एकमात्र इसका सदस्य है. यह एक उष्ण कटिंबधीय फल है जिसका मूल निवास चीन है. अगर हम लीची की पैदावार की बात करें तो मैडागास्कर, भारत, बांगलादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, ओडिशा, फिलींपीस और दक्षिण अफ्रीका में पाई जाती है. यह एक सदाबहार पेड़ होता है. जो कि 15 से 20 मीटर तक का होता है. इसके पुष्प छोटे हरित, पीत श्वेत वर्ण के होते है. इसकी खेती उन जगह पर सफलतापूर्वक की जाती है जहां पर गर्म हवाओं और पाले का प्रकोप न हो. भारत में लीची के मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश है. समय के साथ इसका उत्पादन और मांग भी बढ़ी है. इसकी खेती मुख्य रूप से शीतोष्ण जलवायु में ही की जाती है.
लीची की किस्में
भारत में लीची की काफी सीमित किस्में ही उपलब्ध है. इसका मुख्य कारण है कि यहां पर देरी से इसकी खेती हुई है.हालांकि पिछले कई सालों में किसानों ने कुछ प्रमुख किस्मों की लीची की खेती की है और इसकी किस्मों की पैदावार को बढ़ाने में काफी मदद की है
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1. कलकतिया लीची
कलकतिया लीची एक प्रकार की लीची की ही किस्म है. किन्तु यह काफी ज्यादा देर से पकने वाली किस्म होती है, इसके फल जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में होती है. इसके फल का आकार आयाताकार होता है, इनका औसत भार 23 ग्राम होता है. इसका छिलका मध्यम मोती के रंगा का होता है. इसका फल स्वाद में मीठा और बिज आकार में बड़ा होता है.
2. देहरादून
यह बेहद ही जल्दी और लगातार फल देने वाली किस्म होती है. इसके फल पकने के बाद जून के दूसरे सप्ताह में तोड़ें जा सकते है. इसके फलों का रंग काफी आकर्षक भी होता है, लेकिन कई बार यह जल्दी दरारे छोड़ जाते है. देहरादून के फल रसीले, नर्म, रसभरे, स्वादिष्ट होते है जो कि लोगों को काफी पसंद आते है.
3. रोज सेंटेड
लीची की खेती हेतु इस किस्म के फूल जून के दूसरे सप्ताह में पकते है. जो भी लीची पक जाती है वह हदृयाकार होती है. इस लीची के फल का औसत भार 18 ग्राम होता है, इसका छिलका पतला और बैंगनी रंग का मिश्रित होता है. इस फल में शर्करा की मात्रा लगभग 12.80 प्रतिशत और अमल की मात्रा भी 0.32 प्रतिशत तक होती है. यह फल खाने में काफी ज्यादा मीठा होता है और इसकी खुशबू गुलाब की तरह मीठी होती है. इसका बीज आकार में बड़ा होता है.
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4. अर्ली लार्ज रेड
लीची की खेती के लिए इस किस्म के फल मुख्य रूप से जून के तीसरे सप्ताह में पकते है. इनके फल का औसत भार 20.50 ग्राम होता है. इसका छिलका पतला, गहरे लाल रंग का गुदा, भूरा सफेद होता है. इसमें शर्करा 10 प्रतिशत होता है और अम्लता 0.43 प्रतिसत के आसपास होती है. इसके बीज आकार में बड़े होते है.
5. मुजफ्फरपुर
इस किस्म को लेट लार्ज रेड कहते है. इसके फल जून के चौथे हफ्ते में पकते है और आयातकार नुकीले होते है. इसका भार 22 ग्राम होता है. इसका गुदा मुलायम, खुशबू बढ़िया और स्वाद मीठा होता है. इसकी उपज काफी बेहतर होती है.
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