एक रिपोर्ट के मुताबिक़, वैज्ञानिकों ने अपने शोध मे बताया है की देश की 54 प्रतिशत उपजाऊ जमीन अपनी उर्वरता खो चुकी है. प्रकृति के दुश्मन कहे जाने वाली यूरिया और डीएपी जैसे खादों का असंतुलित इस्तेमाल मिट्टी मे मौजूद प्राकृतिक तत्वों को खत्म करता जा रहा हैं इस रिपोर्ट मे वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि अगर रासायनिक खादों का इस्तेमाल इसी तरह होता रहा तो आने वाले समय में देश की उपजाऊ जमीन का बड़ा हिस्सा बंजर भूमि में तब्दील हो जाएगा. किसानों द्वारा खाद के रूप मे डाले गए नाइट्रोजन का इस्तेमाल पौधे मात्र 30 फीसदी यूरिया का उपयोग कर पाते है.
इन दिनों किसानों के द्वारा उर्वरको का इस्तेमाल फसल की मांग से अधिक किया जा रहा है. नाइट्रोजन वाष्पीकरण के जरिये वातावरण में पहुंच जाता हैं. इसका कुछ भाग जमीन में रिस जाता हैं. नाइट्रोजन जमीन में मौजूद आयन से मिलकर नाइट्रासोमाइन बनाता हैं जिससे भूजल दूषित हो जाता हैं. इस तरह दूषित जल के पीने से लाल रूधिर कणिकाओं की कमी,रसौली और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारीयां हो जाती है। इसके आलवा इतनी ज्यादा मात्रा में यूरिया के उपयोग से फसल के फल में रसीलेपन की मात्रा भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि पौधे बीमारियाँ और कीटों के संक्रमण के शिकार बन जाते है.
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