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वैज्ञानिकों को गलत साबित कर, बिहार के किसानों ने इस ख़ास चीज़ की खेती

बिहार के बेगूसराय जिले के किसानों ने बिना विज्ञानिकों की मदद से खेती में लगातार कई नए प्रयोग किए है अब उन्होंने एक और प्रयोग किया है स्ट्रॉबेरी की खेती. जो कि अगर सफल रहा तो वहां के किसान सौ एकड़ से अधिक ज़मीन पर खेती करेंगे. वहां के किसान प्रायोगिक तौर पर अलग -अलग प्रकार की 4 तरह की ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी के 22 सौ पौधे लगाए है. जिसमे से 12 प्रतिशत पौधे सूख गए है और कई पौधे बढ़ भी रहे है.

बिहार के बेगूसराय जिले के किसानों ने  बिना विज्ञानिकों की मदद से  खेती में  लगातार कई नए प्रयोग किए है अब उन्होंने एक और प्रयोग किया है स्ट्रॉबेरी की खेती. जो कि अगर सफल रहा तो वहां के किसान सौ एकड़ से अधिक ज़मीन पर खेती करेंगे. वहां के किसान प्रायोगिक तौर पर अलग -अलग प्रकार की 4 तरह की ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी के 22 सौ पौधे लगाए है. जिसमे से 12 प्रतिशत पौधे सूख गए है और कई पौधे बढ़ भी रहे है.

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भी स्ट्रॉबेरी के प्लांटेशन लैब की व्यवस्था बिहार में ही करने की घोषणा की है. अभी तक तो पूना में स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है, तथा वहीं से पौधा मंगवाए गए है. स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों की तकदीर चमका सकती है. एक एकड़ की खेती में करीब तीन लाख रुपये की लागत लगती है. कैलिफोर्निया से आए मादा प्लांट को पूना में विकसित कर वहां व्यापक पैमाने पर खेती की जा रही है. वहीं से हवाई जहाज के माध्यम से बाइस सौ पौधे मंगवाकर बेगूसराय में लगाए गए हैं. भारत में सबसे ज्यादा मात्रा में  खेती वहीं होती है.

विज्ञानिको का मानना है

विज्ञानिकों का मानना है कि बिहार की जलवायु एवं मिट्टी स्ट्रॉबेरी के प्रति अनुकूल  नहीं है पर किसानों का कहना है कि वो हर हालत में स्ट्रॉबेरी को उपजा कर जनवरी तक केंद्रीय कृषि मंत्री तक पहुंचाएंगे. स्ट्रॉबेरी का पौधा एक फीट ऊंचा होता है और 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है. इसका फल 80 से 90 दिनों तक तोड़ा जा सकता है. एक सीजन में एक एकड़ जमीन पर 250 क्विंटल स्ट्रॉबेरी तैयार होगी. कम से कम एक सौ पचास रुपये प्रति किलो बिकेगी. इन्सान चाहे तो कुछ भी कर सकता है, तो इसी तरह बेगूसराय के किसानों की मेहनत का फल भी उन्हें मिल रहा है.

तो देखा आपने किसान अपने नित नए प्रयासो से खेती में देश को आगे बढ़ा रहे  है ऐसी ही ख़ास जानकारियों को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर क्लिक करें...

मनीशा शर्मा, कृषि जागरण

English Summary: By proving the scientists wrong, the farmers of Bihar farmed this special thing Published on: 20 November 2018, 05:43 PM IST

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