जैविक खेती (Organic Farming) कृषि की दुनिया में चर्चा का विषय है. लोग आमतौर पर मानते हैं कि यह खेती का एक नया तरीक़ा है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है. दरअसल जैविक खेती प्राचीन काल से चली आ रही है. वास्तव में, पहले कोई सिंथेटिक उर्वरक और कीटनाशक नहीं थे. लोग प्रकृति से अधिक जुड़े हुए थे और प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करते थे.
बहरहाल हम जानते हैं कि ऑर्गेनिक या जैविक खेती क्या होती है और इसके फ़ायदे और नुक़सान क्या हैं.
यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर (USDA) जैविक खेती को इस प्रकार परिभाषित करता है- "जैविक खेती एक ऐसी प्रणाली है जो सिंथेटिक इनपुट्स (जैसे उर्वरक, कीटनाशक, हार्मोन, फ़ीड योजक आदि) के उपयोग से बचती है और अधिकतम संभव सीमा तक फ़सल चक्र, फ़सल अवशेष, पशु खाद पर निर्भर करती है.”
ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग के फ़ायदे (Benefits of Organic Farming)
जैविक खेती के सबसे बड़े लाभों में से एक यह है कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलते हैं, जो कीटनाशकों और उर्वरकों के जहरीले अवशेषों से मुक्त रहते हैं. किसानों के लिए भी यह फ़ायदेमंद है क्योंकि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. जैविक खेती से पैदा किए गई फ़सल के बाज़ार में ऊंचे दाम मिलते हैं.
ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग के नुक़सान (Disadvantages of organic Farming)
जैविक खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कम उपज देती है. इससे उच्च उत्पादन लागत होती है, जो बदले में उच्च बिक्री मूल्य की ओर ले जाती है. क्योंकि बाज़ार में केमिकल युक्त खेती से उत्पादित फलों-सब्ज़ियों-अनाजों के दाम कम होते हैं और जैविक खेती से उत्पादित खाद्य के दाम ज़्यादा होते हैं इसलिए इसके ख़रीदार कम मिलते हैं. जिससे किसान को घाटा हो सकता है. इस खेती पद्धति में किसानों को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती और फ़सलों के तैयार होने में समय भी ज़्यादा लगता है.
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हालांकि, जैविक कृषि पद्धति में प्रगति के साथ हम भविष्य में जैविक खाद्य की बेहतर उपज और सस्ती क़ीमत की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन फ़िलहाल ऐसा होता दिखाई नहीं देता.
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