हर क्षेत्र में सफलता की अलग-अलग कहानियां होती है. कुछ कहानियां काफी अच्छी होती है जो कि आपको जीवन में नए आयामों तक पहुंचाने में मदद करती है. इस तरह का सफल उदाहरण छत्तीसगढ़ के पाटन क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. आज से ठीक चार साल पहले एक किसान ने जैविक पद्धति से उस यह किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है.
इस धान से निकले हुए चावल की खुशबू छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में महक रही है. को फिर से उगाने का निश्चय कर लिया है, जिसको दशकों पहले भुला दिया गया था. यह किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है. इस धान से निकले हुए चावल की खुशबू छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में महक रही है.
आज किसान साहूकार
दरअसल दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के ग्राम अरसनारा के किसान गुरूदेव साहू 2.87 हेक्टेयर रकबे में रासायनिक पद्धित से धान की खेती करने का कार्य करते थे. उन्होंने वर्ष 2014-15 में कृषि विभाग के आत्मा योजना के अंतर्गत उन्होंने जैविक खेती से सुगंधित धान के किस्म जयगुंडी की खेती को एक एकड़ में किया है. शुरूआत में पहले साल केवल 12 क्विंटल तक ही उत्पादन हुआ था. कम लागत में मिले ज्यादा मुनाफा के उन्होंने जैविक खेती को करने का निश्चय किया है, आज वह तीन एकड़ खेत में जैविक खेती को करने का कार्य तेजी से कर रहे है. वह छत्तीसगढ़ में देवभोग काले राइस जयगुड़ी, तिलकस्तूरी की बेहतर पैदावार लेने का काम कर रहे है.
अन्य किसान प्रेरणा ले रहे हैं
किसान साहू की प्रेरणा से गांव के करीब 40 कृषक परिवार आज तिलकस्तूरी, कालीकमौध और जयगंडी किस्म की दुर्लभ और सुगंधित धान की खेती कर रहे है. जैविक पद्धति की खेती में गोबर, गोमूत्र, और कई तरह की विशेष पत्तियों का प्रयोग किया जाता है, जिससे न केवल पैदावार ठीक रहती है बल्कि यह पूरी चरह से कीट -पतंगों के प्रकोप से सुरक्षित रहता है. पौधों को आवश्यक खाद भी उपलब्ध हो जाती है.
मिला है कृषक सम्मान
किसान गुरूदेव साहू की जैविक पद्धति से खेती करने और ज्यादा उपज को प्राप्त करने के लिए कृषि विभाग ने विकासखंड और जिले स्तर पर उनको पुरस्कृत किया है. इसके अलावा कई प्राइवेट कंपनियों ने भी उन्नत कृषक, प्रगतिशील और कृषक सम्मान से नवाजा है. आज किसान साहू खुद ही नहीं बल्कि अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे है.
विभिन्न राज्यों में है सुंगधित चावल की मांग
जैविक संगधित चावल की मांग केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि उन राज्यों में भी है जहां पर कृषि एक्सपो के माध्यम से इन किसानों ने अपने चावल को बेचा है. सुगंधित चावल की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि जैविक खेती से उत्पादन तो कम होगा ही लेकिन अच्छी क्वालिटी के चलते इनकी काफी ऊंची कीमत मिलती है.
उन्होंने चार साल में राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के विश्व किसान मेले में सुगंधित धान की बिक्री को करने का कार्य किया है.
ऐसी ही कृषि सम्बंधित जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें हमारी कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट के साथ...
Share your comments