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किसानों के लिए बेहद लाभकारी है इमली की खेती, जानें उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और विधि!

Imli Ki Kheti: इमली की खेती पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद है. यह कम देखभाल में भी अच्छी पैदावार देती है और इसकी लंबी उम्र इसे खास बनाती है. सही योजना और प्रबंधन के साथ, इमली की खेती से किसान लंबे समय तक लाभ कमा सकते हैं. इसके फलों और अन्य उत्पादों की बाजार में हमेशा मांग रहती है, जिससे यह एक स्थायी और लाभकारी व्यवसाय बन सकता है.

KJ Staff
Imli Ki Kheti
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Tamarind Cultivation: इमली, अपने खट्टे और अनोखे स्वाद के कारण भारतीय रसोई का एक प्रमुख हिस्सा है. यह न केवल व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाती है, बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जानी जाती है. इमली के फल और बीज से मसालों, औषधियों और अन्य उत्पादों का निर्माण होता है, जिससे इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. व्यावसायिक स्तर पर इमली की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है. सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल के साथ इमली की खेती से बेहतर उत्पादन और मुनाफा कमाया जा सकता है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में इमली की खेती की विधि और इसके फायदों जानते हैं...

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

इमली की खेती के लिए गर्म और हल्की ठंडी जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. यह 25°C से 35°C तापमान और 750 से 1200 मिमी बारिश में आसानी से बढ़ती है. यह सूखे को भी सहन कर सकती है. इमली के पेड़ को गहरी, उपजाऊ और पानी निकासी वाली मिट्टी में लगाया जा सकता है. इसके अलावा, हल्की अम्लीय मिट्टी में भी इसका अच्छा उत्पादन होता है.

इमली की किस्में

भारत में इमली की कई किस्में उगाई जाती है, जिसमें प्रसन्ना, उरिगम और रोहतगी शामिल है. इन किस्मों को उनके खट्टे-मीठे स्वाद, फलों के आकार और उत्पादन क्षमता के आधार पर चुना जाता है. अच्छी गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को अपनी जलवायु और मिट्टी के अनुसार सही किस्म का चयन करना चाहिए.

बुवाई का समय और प्रक्रिया

इमली की खेती में बीजों से पौधे उगाना आम तरीका है. सबसे पहले बीजों को 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है. इसके बाद इन्हें नर्सरी में बोया जाता है. जब पौधे 1 से 2 महीने के हो जाते हैं, तो उन्हें खेत में लगाया जाता है. एक हेक्टेयर जमीन में लगभग 150-200 पौधे लगाए जा सकते हैं.

देखभाल और प्रबंधन

इमली के पौधों को अच्छी तरह बढ़ने के लिए सही देखभाल जरूरी है. गर्मियों में हर 15 से 20 दिन पर सिंचाई करनी चाहिए, क्योंकि पौधे हल्की सूखा सहन कर सकते हैं. पौधों को प्रति वर्ष 20 से 25 किलो गोबर की खाद, 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 250 ग्राम पोटाश देना चाहिए. साथ ही, समय-समय पर खरपतवार हटाने से पौधे को स्वस्थ रखने के साथ-साथ उत्पादकता में भी बढ़ोतरी की जा सकती है.

कटाई और उत्पादन

इमली के पेड़ आमतौर पर 5-6 साल में फल देने लगते हैं. फल जब भूरे रंग के हो जाएं और आसानी से छिलने लगें, तो उन्हें तोड़ लेना चाहिए. एक परिपक्व इमली का पेड़ हर साल 150-200 किलो फल दे सकता है.

लाभ और बाजार

इमली की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इसके फल, बीज और गूदा कई उद्योगों में काम आते हैं, जैसे मसाले और चटनी बनाने के लिए खाद्य उद्योग में, दवाओं के निर्माण के लिए औषधि उद्योग में और सौंदर्य उत्पादों में. इमली का गूदा स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत पर बिकता है. इसके साथ ही, इमली के पेड़ की लकड़ी भी कई उपयोगों में आती है, जिससे अतिरिक्त आय होती है.

संभावित चुनौतियां

इमली की खेती में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए समय पर उपाय करना जरूरी है. इसके अलावा, फलों के भंडारण और परिवहन की उचित व्यवस्था न होने से नुकसान हो सकता है. इन समस्याओं से निपटने के लिए सही प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है.

English Summary: tamarind cultivation beneficial for farmers suitable method climate soil Published on: 02 January 2025, 02:17 PM IST

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