देश के कई अलग-अलग हिस्मों में किसानों के खेतों में मक्का की फसल (Maize Crop) खड़ी है. कड़ी मेहनत और लगन से किसानों ने मक्का की बुवाई की है, लेकिन इस बीच हिमाचल के कुछ जिलों में मक्का की फसल पर कीट का प्रकोप बढ़ता जा रहा है.
ऐसे में किसान की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है, हालाकिं इसकी रोकथाम के लिए कृषि विवि पालमपुर के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों की मक्का की फसल में इनवेसिव फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप देखा गया है. यह कीट साल 2018 में नॉर्थ ईस्ट में पहचाना गया था. इस साल यह कीट जिला कांगड़ा, बिलासपुर और ऊना में देखा गया है.
ऐसे में कृषि विशेषज्ञो का कहना है कि किसान इसकी रोकथाम के लिए नीम आधारित कीटनाशक (Spray Neem Based Pesticide) 10000 पीपीएम प्रति 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से फसल पर छिड़क दें.
अगर किसानों के पास नीम आधारित कीटनाशक नहीं हैं, तो वह एंटोमोपैथोजन मेटीरिहाइजियमरिलेवी तीन ग्राम प्रति लीटर पानी या क्लोरेट्रानिलिप्रोएल 0.4 मिलीलीटर या स्पिनेटोरम 0.5 मिलीलीटर या इमामेक्टिन बेंजोएट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि किसान कीट की पहचान और रोकथाम के लिए उपयोग में लाए वाले रसायनों के नाम, मात्रा और उनकी विधि की नजदीकी कृषि अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ समेत समीप के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से प्राप्त कर सकते हैं.
इसके अलावा कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को समय रहते इस कीट से छुटकारा पाना होगा, अगर ऐसा नहीं हुआ, मक्का की फसल को भारी नुकसान हो सकता है.इस कीट का सीधा प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ सकता है, इसलिए किसानों को समय रहते मक्का की फसल में लगने वाले इनवेसिव फॉल आर्मीवर्म कीट की रोकथान करनी होगी.
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