औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का पौधा लगभग सभी घरों में होता है. हिंदू धर्म में इसकी पूजा भी की जाती हैं. लेकिन अगर आप चाहें तो इसकी खेती करके भारी मुनाफा कमा सकते हैं. तुलसी की ओसिमम सेंक्टेम प्रजाति को तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है. तुलसी की इस प्रजाति की भारत में बडे पैमाने पर खेती होती है. इसकी महत्ता पुरानी चिकित्सा पद्धति एवं आधुनिक चिकित्सा पद्धति दोनों में है. आज के दौर में इससे अनेकों खाँसी की दवाएँ, इमम्युनिटी बूस्टर, साबुन, हेयर शैम्पू, परफ्यूम व कास्मेटिक इंडस्ट्रीज में अधिक होता है. धार्मिक और औषधि महत्व से जुडी तुलसी की फसल इन दिनो किसानों को खुशहाल बना रही है.
तुलसी की विभिन्न प्रजातियां (Different species of Basil)
इसे हिंदी में तुलसी, संस्कृत में सुलभा, ग्राम्या, बहूभंजरी एवं अंग्रेजी में होली बेसिल के नाम से जाना जाता है. लेमिएसी कूल के इस पौधे की विश्व में 150 से ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं. इनमें से प्रमुख रूप से स्वीट फेंच बेसिल या बोबई तुलसी, कर्पूर तुलसी, काली तुलसी, वन तुलसी या राम तुलसी, जंगली तुलसी, श्री तुलसी या श्यामा तुलसी है.
तुलसी की खेती के लिए मृदा व जलवायु (Soil and climate for Tulsi cultivation)
इसकी खेती, कम उपजाऊ जमीन जिसमें पानी की निकासी का उचित प्रबंध होता है बलूई दोमट जमीन इसके लिए बहुत उपयुक्त होती हैं. जमीन ठीक तरह से जून के दूसरे सप्ताह तक तैयार हो जानी चाहिए. इसके लिए उष्ण कटिबंध एवं कटिबंधीय दोनों तरह जलवायु उचित होती है.
तुलसी की नर्सरी तैयार करना (Tulsi Nursery Preparation)
इसकी खेती बीज द्वारा होती है लेकिन खेती में बीज की बुवाई सीधे नहीं करनी चाहिए. पहले इसकी नर्सरी तैयार करनी चाहिए. बाद में उसकी रोपाई करनी चाहिए. जमीन की 15 से 20 सेमी गहरी खुदाई कर के खरपतवार आदि निकाल तैयार करा लेना चाहिए. 6 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की सडी खाद अच्छी तरह से मिला देना चाहिए. 1×1 मीटर आकार की जमीन सतह से उभरी हुई क्यारियां बनाकर उचित मात्रा में कंपोस्ट एवं उर्वरक मिला देना चाहिये. 300-400 ग्राम बीज एक एकड़ के लिए उपयुक्त रहता है.
बीज की बुवाई के लिए 1:10 के अनुपात में बीज के साथ रेत या बालू मिलाकर 8-10 सेमी. की दूरी पर पक्तियों में करनी चाहिए. बीज की गहराई अधिक नहीं होनी चाहिए. जमाव के 15-20 दिन बाद 8 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से नत्रजन डालना उपयोगी होता है. पांच-छः सप्ताह में पौध रोपाई हेतु तैयार हो जाती है.
तुलसी पौध रोपाई (Transplanting of Tulsi)
सूखे मौसम में रोपाई हमेशा दोपहर के बाद करनी चाहिए. रोपाई के बाद खेत की सिंचाई तुरंत कर देनी चाहिए. बादल या हल्की वर्षा वाले दिन इसकी रोपाई के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं. इसकी रोपाई लाइन से लाइन 60 सेमी तथा पौधे से पौधे 30 सेमी की दूरी पर करें.
तुलसी में सिंचाई व्यवस्था (Irrigation system in Tulsi)
पौधों को लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है. हफ्ते में कम से कम एक बार या जरूरत के मुताबिक पानी देना होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक फसल की कटाई से 10 दिन पहले से ही सिंचाई देना बंद कर देना चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण (Weed management)
इसकी पहली निराई-गुडाई रोपाई के एक माह बाद करनी चाहिए. दूसरी निराई व गुडाई पहली निराई के 3-4 सप्ताह बाद करनी चाहिए.
खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer)
इसके लिए 6 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद जमीन में डालना चाहिए. इसके अलावा 32-32 किग्रा नत्रजन 16 किलो फास्फोरस व 16 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है. रोपाई के पहले एक तिहाई नत्रजन तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत में डालकर जमीन में मिला देनी चाहिए. शेष नत्रजन की मात्रा दो बार में खड़ी फसल में डालना चाहिए.
तुलसी में तेल प्राप्त करने के लिए कटाई (Harvesting to get oil in basil)
जब पौधों की पत्तीयां बड़ी हो जाती हैं तभी इनकी कटाई शुरू हो जाती है. सही समय पर कटाई करना जरूरी है. ऐसा न करने पर तेल की मात्रा पर इसका असर होता है. पौधे पर फूल आने की वजह से भी तेल की मात्रा कम हो जाती है इसलिए जब पौधे पर फूल आना शुरू हो जाएं उसी दौरान इनकी 15 से 20 सेमी ऊंचाई से कटाई करनी चाहिए जिससे पौधे की जल्दी नई शाखाएं आ जाएं.
तुलसी में बीज प्राप्त करने के लिए कटाई (Harvesting to get seeds in Tulsi)
जब पौधे में पूरी तरह से फूल आ जाए तथा नीचे के पत्ते पीले पड़ने लगे तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए. रोपाई के 10-12 सप्ताह के बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है. आसवनः तुलसी का तेल पूरे पौधे के आसवन से प्राप्त होता है. इसका आसवन, जल तथा वाष्प, आसवन, दोनों विधी से किया जा सकता है. लेकिन वाष्प आसवन सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है. कटाई के बाद तुलसी के पौधे को 4-5 घंटे छोड़ देना चाहिए. इससे आसवन में सुविधा होती है.
तुलसी की उपज (Yield of Tulsi)
इसके फसल की औसत पैदावार 8-10 टन प्रति एकड़ तथा तेल का पैदावार 32-40 किलो प्रति एकड़ तक होता है.
तुलसी की खेती में लागत (Cost of cultivation of Tulsi)
मंडी में 20 से 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव तक तुलसी के बीज बिक जाते हैं. अगर आप 1 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं तो 400 ग्राम बीज की जरूरत पडेगी. इसकी बाजार में कीमत तकरीबन 600 रुपए होगी. 1200-2000 हजार रुपए की खाद लगेगी. कुल मिलाकर 4250 रुपए प्रति एकड़ व्यय होंगे. तेल की पैदावार 40 किलो प्रति एकड़ होगी और तेल की कीमत 450 रुपए किलो के आसपास है. अतः 40 X 450 = 18000 रुपए तेल की कीमत मिलती है. इस प्रकार शुद्ध लाभ 18000- 4250 = 13750 रुपए है.
कैसे बेचें फसल (How to sell crop)
आप मंडी एजेंट्स के जरिए अपना माल बेच सकते है. सीधे मंडी में जाकर भी खरीददारों से संपर्क कर सकते है. कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियों या एजेंसियों के जरिए खेती कर उन्हें ही अपना माल बेच सकते है.
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