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बैंगन की फसल में छोटी पत्ती रोग और फल सड़न रोग को कैसे रोकें

छोटी पत्ती रोग (little leaf disease): यह रोग रसचूसक कीट (sucking pest) लीफ हॉपर (फुदका) के कारण फैलता है. यह एक विषाणुजनित जनित रोग है. इस रोग से बैगन की फसल में भारी आर्थिक नुकसान होता है. इस रोग में बैगन के पौधे की ऊपरी नई पत्तियाँ सिकुड़ कर छोटी हो जाती है तथा मूड जाती है. इस रोग के कारण पत्तियों का आकार भी बहुत छोटा रह जाता है तथा पत्तियाँ तने से चिपकी हुई लगती है.

हेमन्त वर्मा

छोटी पत्ती रोग (little leaf disease):

यह रोग रसचूसक कीट (sucking pest) लीफ हॉपर (फुदका) के कारण फैलता है. यह एक विषाणुजनित जनित रोग है. इस रोग से बैगन की फसल में भारी आर्थिक नुकसान होता है. इस रोग में बैगन के पौधे की ऊपरी नई पत्तियाँ सिकुड़ कर छोटी हो जाती है तथा मूड जाती है. इस रोग के कारण पत्तियों का आकार भी बहुत छोटा रह जाता है तथा पत्तियाँ तने से चिपकी हुई लगती है.

उपचार:

  • इससे बचाव के लिए कीट को नियंत्रित किया जाता है अतः एसिटामिप्रीड 20% SP की 80 ग्राम मात्रा या थियामेंथोक्साम 25% WG की 100 ग्राम मात्रा या थियामेंथोक्साम 6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC मिश्रण की 100 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दे. यह मात्रा एक एकड़ क्षेत्र के लिए प्रायप्त है.

  • आवश्यकता अनुसार 15 दिनों बाद छिड़काव दवा को बदल कर उपयोग करें.

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना पाउडर की 250 ग्राम मात्रा भी एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है.

फल सड़न रोग (Fruit rot disease)

अत्यधिक नमी की वजह से यह रोग बैगन की फसल में अधिक फैलता है। फंगस के कारण फलों पर जलीय सूखे हुये धब्बे दिखाई देते है जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलो में भी फैल जाते हैं. प्रभावित फलों की ऊपरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है. इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों एवं अन्य भागों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि रोग प्रसार को रोका जा सके.

उपचार:

  • इस रोग के निवारण के लिए फसल पर मेंकोजेब 75% WP की 600 ग्राम मात्रा या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP की 300 ग्राम या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC की 300 ग्राम मात्रा या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W की 24 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें.

  • 15-20 दिनों बाद आवश्यकतानुसार छिड़काव दवा बदल कर करें.

  • जैविक उपचार (biological treatment) के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस की 250 ग्राम या ट्राइकोडर्मा विरिडी की 500 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें.

  • जैविक उपचार को रसायनिक दवाओं के साथ मिलाकर या तीन दिन पहले और बाद प्रयोग न करें.

English Summary: Prevent little leaf and fruit rot disease in Brinjal crop Published on: 05 November 2020, 06:41 PM IST

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