आलू की फसल में इस समय कई तरह के रोग लगने की आशंका रहती है. दरअसल, बदलते मौसम और गिरते तापमान के कारण आलू की फसल में कई तरह के कीट और रोग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है. ऐसे में यदि समय रहते इन बीमारियों से बचने का प्रबंधन नहीं किया जाए तो किसानों को उत्पादन के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी अधिक नुकसान उठाना पड़ता है.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर और जनवरी महीने में मौसम में हो रहे बदलाव के कारण आलू की फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है.
झुलसा रोग का खतरा (Risk of scorch disease)
कई सालों से आलू की खेती करने वाले राजकिशोर ने बताया कि दिसंबर और जनवरी माह में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने का अंदेशा बढ़ जाता है. जिसके कारण आलू के पौधे की वृद्धि रूक जाती है. दरअसल, इस समय आलू में पछेती अंगमारी या पछेती झुलसा का प्रकोप बढ़ जाता है. जिससे फसल पूरी तरह से चौपट हो जाती है. इसलिए इन महीनों में अगेती और पछेती झुलसा रोग की रोकथाम के लिए विशेष प्रबंधन करने की जरूरत पड़ती है.
झुलसा रोग से बचाव (Prevention from scorching disease)
अगेती या पछेती झुलसा रोग से आलू की फसल को बचाने के लिए मैंकोजेब 75 को 800 ग्राम मात्रा में लेकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए.
बैक्टीरियल रॉट (Bacterial rot)
इस समय आलू की फसल में एक और बीमारी का अंदेशा रहता है जिसे बैक्टीरियल रॉट या हिंदी में जीवाधुजनित तना गलन कहा जाता है. इस रोग के प्रकोप से आलू के जिस भाग में कंद बनता है वह ऊपर के हिस्से गलने लगता है और काले रंग का पड़ जाता है. आखिरकार आलू का पौधा मुरझाकर सूखने लगता है. ऐसा लगता है कि पौधे को पानी की कमी है.
बैक्टीरियल रॉट से बचाव (Prevention of bacterial rot)
इस रोग से बचाव के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 6 ग्राम की मात्रा लेकर 50 लीटर पानी में घोल बनाकर 2-3 छिड़काव करना चाहिए. पहले छिड़काव के 18 से 20 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए.
सफेद मक्खी (White fly)
इस सीजन में आलू की फसल के नजदीक सरसों की फसल भी होती है. सरसों के फूल से माहू कीट और सफेद मक्खी आलू की फसल पर पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट पौधे का रस चूस लेता है और वायरस से संक्रमित कर देता है.
सफेद मक्खी से बचाव (Protection from white fly)
इस कीट और सफेद मक्खी के से बचाव के लिए थायोमेथेक्जॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी कीटनाशक की 40 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ में छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा मैंकोजेब, स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और थायोमेथेक्जॉन का मिश्रित घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है. जिससे झुलसा, बैक्टीरियल रॉट और माहू रोग के प्रकोप से निजात मिलती है.
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