विश्व में भारत प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, परंतु भण्डारण हेतु समुचित सुविधाएं न होने के कारण उत्पादन का 25-30 प्रतिशत हिस्सा नष्ट हो जाता है. इसकी कीमत करोड़ों में होती है. यही कारण है कि विश्व में निर्जलीकृत प्याज की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसा करने से न केवल परिवहन लागत में कमी आती है अपितु प्याज को भंडारण के दौरान होने वाली भारी क्षति से भी बचाया जा सकता है.
प्याज, भारत में उगाई जाने वाली बहुत ही महत्वपूर्ण शाकीय फसल है. इसमें विटामिन 'बी' के अतिरिक्त कुछ मात्रा में विटामिन 'सी', लौह, कैल्शियम आदि भी पाए जाते हैं. जिन व्यंजनों में ताजा प्याज प्रयोग में लाया जाता है, वहां निर्जलीकृत प्याज लगभग हर एक व्यंजन का हिस्सा बन चुका है. इसके अतिरिक्त निर्जलीकृत प्याज में जहां सुवास एक समान रहती है, वहीं इसके टुकड़ों को प्रसंस्करित उत्पाद में आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है.
निर्जलीकृत प्याज के मुख्य लाभ भंडारण अवधि को बढ़ाकर उत्पाद की उपलब्धता वर्षभर एवं बेमौसम में भी बनी रहती है. भंडारण एवं परिवहन के दौरान होने वाली भारी क्षति को बचाकर उपभोक्ता को उत्पाद कम लागत पर मिलता है. उत्पादक को भंडारण अवधि बढ़ने से अपने उत्पादन का कई गुना लाभ मिलता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली स्थित भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के खाद्य विज्ञान एवं फसलोत्तर प्रौद्योगिकी संभाग द्वारा प्याज के भरपूर उत्पादन के दौरान इसे निर्जलीकृत कतरों एवं चूर्ण में परिवर्तन करने की प्रौद्योगिकी विकसित की है. इस प्रौद्योगिकी से प्याज को सामान्य दशाओं में 6 माह तक एवं निम्न ताप की दशाओं में एक वर्ष तक बिना किसी क्षति के भंडारित किया जा सकता है.
प्रौद्योगिकी के लाभ:-
साधारण एवं अल्प लागत
प्रौद्योगिकी परिवहन, रखरखाव एवं भंडारण लागतें काफी हद तक कम
कई अन्य मूल्यवर्द्धित उत्पादों हेतु मूलभूत सामग्री
प्याज चूर्ण पाक-संबंधी उद्देश्यों हेतु प्रयुक्त
प्रौद्योगिकी में नवीनता : निर्जलीकृत कतरे प्याज का सांद्रित रूप हैं. इनके उपयोग की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, औषधीय उद्योग, होटलों, रेस्टोरेंट आदि में भारी संभावनाएं हैं. निर्जलीकृत कतरों का सबसे बड़ा लाभ है कि इन्हें भंडारित करना काफी आसान होता है, क्योंकि ये ताजे प्याज एवं अन्य उत्पादों की अपेक्षा भार में कम होता को है. इन्हें डिब्बाबंद उत्पादों की अपेक्षा पैक करना आसान होता है. सीमित भंडारण कीआवश्यकता भी नहीं होती है. इनमें सुवास काफी अधिक व एक समान रहती है एवं इन्हें ताजे प्याज की अपेक्षा निम्न ताप पर काफी लंबे समय तक भंडारित कर सकते हैं. इन कतरों को कई अन्य उत्पादों के विकास हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं, जिनकी बाजार में भारी मांग है.
प्याज का चूर्ण
सुखाए गए प्याज के कतरों को पीसकर प्याज के चूर्ण को तैयार करते हैं. यह उत्पाद उपयोग हेतु काफी आसान है. इसकी निधानी आयु काफी है. यह पूरे वर्ष भंडारित रहता है एवं इसकी परिवहन तथा भंडारित की कीमत काफी कम होती है. प्याज चूर्ण कई उत्पादों में प्रयुक्त कर सकते हैं. यह उत्पाद होटलों एवं रेस्टोरेंट आदि के लिए वरदान है. प्याज के चूर्ण को विशेषतः उस प्रसंस्करित भोज्य में डाला जा सकता है. जिसमें साबुत प्याज को पसंद नहीं किया जाता इसे पिज्जा, ग्रेवी बनाने हेतु एवं कई अन्य व्यंजन में डाला जा सकता है.
सारणी: प्याज की निर्जलीकृत कतरो एवं चूर्ण का संगटन
S.No. |
मापक |
ताजा प्याज |
निर्जलीकृत कतरे |
चूर्ण |
|
विटामिन 'सी' (मि.ग्रा./100 ग्राम) |
26.6 |
5.7 |
4.3 |
|
तीखेपन का स्तर (मा.मो./ग्राम |
55.3 |
22.5 |
21.0 |
|
कुल फिनोल (मि.ग्रा. ए.ई./100 ग्राम) |
8.8 |
4.9 |
4.6 |
|
प्रतिऑक्सीकारक क्षमता (मा.मो. ट्रोलॉक्स/ग्राम |
29.3 |
11.2 |
6.5 |
|
पुनर्जलीकरण अनुपात |
35 |
30.5 |
30.2 |
|
न्यूनन/नॉनन्यूनन शर्करा अनुपात |
- |
1:54 |
1:54 |
लेखक:- डॉ. ध्वनि शर्मा, श्री सौरभ राठौड़ एवं डॉ. जी. के. माथुर,
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी
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