Napier Grass Farming: भारत में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि मानी जाती है, इससे दूध, खाद और अन्य कृषि उत्पाद प्राप्त होते हैं. पशु का सही दूध उत्पादन और स्वास्थ्य के लिए पशुओं को पोषकयुक्त चारा देने की आवश्यकता होती है. ऐसे में किसानों के लिए नेपियर घास की खेती एक उत्तम विकल्प हो सकती है. नेपियर घास, जिसे हाथी घास (Elephant Grass) भी कहा जाता है, तेजी से बढ़ने वाली और पोषण से भरपूर घास है. इसकी खेती किसानों को न केवल चारे की समस्या से मुक्ति दिलाती है, बल्कि अतिरिक्त आय का भी साधन बन सकती है.
नेपियर घास की विशेषताएं
तेजी से बढ़ने वाली घास: नेपियर घास को उगाने के बाद यह 50-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी 5-6 कटाई सालभर में की जा सकती है.
पौष्टिकता से भरपूर: नेपियर घास में प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो दूधारू पशुओं के लिए बेहद लाभकारी है. यह पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में सुधार करता है.
उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं: इसे कम उपजाऊ और बंजर भूमि पर भी उगाया जा सकता है. यह भूमि सुधार में भी सहायक है.
कम लागत, अधिक मुनाफा: नेपियर घास की खेती में लागत कम आती है, और चारे की बिक्री से अच्छी कमाई की जा सकती है.
उपयुक्त मिट्टी और भूमि
नेपियर घास को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. किसानों को भूमि को अच्छी तरह जोतकर समतल करना है और खरपतवार को हटा देना है.
प्रजातियों का चयन
भारत में नेपियर घास की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिसमें ‘CO-3’ और ‘CO-4’ शामिल है. किसान इन किस्मों की खेती करके अधिक उपज और पोषण प्रदान कर सकते हैं.
रोपाई की दूरी और उपयुक्त समय
नेपियर घास की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय मानसून की शुरूआत यानी जून-जुलाई को माना जाता है. इसकी रोपाई करने से पहले किसानों को उपयुक्त दूरी की जानकारी होना बेहद आवश्यक होता है. किसानों को एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 50 से 60 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए.
खाद और सिंचाई
किसानों को नेपियर घास की रोपाई के समय गोबर की खाद या नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए, इससे अधिक गुणवक्ता के साथ-साथ ज्यादा उपज प्राप्त हो सकती है. इसको नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, गर्मियों के दिनों में किसानों को नेपियर घास की अधिक सिंचाई करनी चाहिए.
कटाई और रखरखाव
नेपियर घास की रोपाई के लगभग 60 दिनों के बाद इसकी पहली कटाई की जा सकती है. इसके बाद किसान हर 30 से 40 दिनों के अंतराल पर घास की कटाई कर सकते हैं.
खाद और सिंचाई
किसानों को नेपियर घास की रोपाई के समय गोबर की खाद या नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए, इससे अधिक गुणवक्ता के साथ-साथ ज्यादा उपज प्राप्त हो सकती है. इसको नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, गर्मियों के दिनों में किसानों को नेपियर घास की अधिक सिंचाई करनी चाहिए.
कटाई और रखरखाव
नेपियर घास की रोपाई के लगभग 60 दिनों के बाद इसकी पहली कटाई की जा सकती है. इसके बाद किसान हर 30 से 40 दिनों के अंतराल पर घास की कटाई कर सकते हैं.
आर्थिक लाभ
नेपियर घास की खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है. एक हेक्टेयर में नेपियर घास की खेती से सालाना 300 से 400 टन चारा प्राप्त किया जा सकता है. बाजार में इस चारे की अच्छी कीमत मिलती है और इससे अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है.
नेपियर घास की खेती के फायदे
नेपियर घास की खेती किसानों के बेहद फायदेमंद हो सकती है. यह उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण दूध उत्पादन में वृद्धि करती है और पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है. नेपियर घास तेजी से बढ़ने वाली घास है, जो अन्य चारे की तुलना में कम लागत में अधिक उत्पादन देती है. इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं और भूमि की उर्वरता में सुधार करती हैं. कम पानी और कम देखभाल में भी यह घास अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है. यह एक टिकाऊ और आर्थिक विकल्प है, जो पशुपालन को और अधिक लाभकारी बनाता है.
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