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मानसून में कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई से पहले बीजों को ज़रूर करें उपचारित, मिलेगा बंपर उत्पादन

कुछ दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है. इस दौरान किसान अपने खेतों में कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देंगे. कई सब्जी उत्पादक किसानों ने खेतों की तरफ रूख करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में किसान सब्जियों की बुवाई से पहले बीजों को सही तरह से उपचारित कर लें. आइए आपको बताते हैं कि मानसून में होने वाली कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई से किस तरह बंपर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

कंचन मौर्य

कुछ दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है. इस दौरान किसान अपने खेतों में कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देंगे. कई सब्जी उत्पादक किसानों ने खेतों की तरफ रूख करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में किसान सब्जियों की बुवाई से पहले बीजों को सही तरह से उपचारित कर लें. आइए आपको बताते हैं कि मानसून में होने वाली कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई से किस तरह बंपर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. 

मानसून में कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई

इस दौरान कद्दू के अलावा तोरई, टिंडा,  करेला,  खीरा समेत कई अन्य सब्जियां की खेती होती है. इसके अलावा मानसून की बारिश के बाद भिंडी और ग्वारफली की भी बुवाई की जाती है. बता दें कि इन सब्जियों की बुवाई साल में 2 बार फरवरी-मार्च और जून-जुलाई में होती है.

कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक...

मानसून की बारिश कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई के लिए काफी लाभकारी होती है. फिर भी फसलों को रोगाणु और जीवाणुओं से बचाकर रखना आवश्यक है. इसके साथ ही फसलों का जड़ ग्रंथी रोग के लिए उपचार कर लेना चाहिए. इस तरह सब्जियों की फसलों को रोग मुक्त रखा जा सकता है, साथ ही उत्पादकता भी बढ़ाई जा सकती है. किसान को इस बात का ध्यान रखना होगा कि मानसून में कद्दूवर्गीय सब्जियों को रोग और कीटाणुओं से मुक्त रखा जाए. इसके लिए किसानों को किसी भी तरह का कीटनाशक का उपयोग बार-बार नहीं करना है, जिससे जीवाणुओं में रेजिस्टेंस पैदा हो पाएं.

बीज का उपचार

कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई से पहले बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए. इसके लिए कार्बेंडाजिम 1 से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर लें. इसके अलावा ग्वारफली के लिए 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर लें.

ये खबर भी पढ़ें: Monsoon 2020: खेती के लिए वरदान है मानसून की बारिश, लेकिन इन फसलों को होगा नुकसान

कद्दूवर्गीय सब्जियों में जड़ ग्रंथी रोग की

इस रोग की रोकथाम के लिए बुवाई से पहले कार्बोफ्यूरॉन 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव कर लें. इसके साथ ही जड़ ग्रंथी रोग वाले पौधों को उखाड़ कर फेंक दें. अगर बेलवाली सब्जियों में पत्तियां संकुचित या मुड़ गई हैं, तो यह मौजेक रोग के लक्षण होते हैं, जो कि कीटों से फैलता है. इसकी रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार एसिफेट, डाइमिथोएट, इमिडाक्लोप्रिड को कम से कम 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर तैयार कर लें और खड़ी फसल में छिड़क दें.

ये खबर भी पढ़ें: Monsoon 2020: मानसून पर निर्भर होती है बाजरा की बुवाई, तब तक किसान घर पर तैयार करें जैविक खाद

English Summary: Monsoon 2020, Treat the seeds before sowing of pumpkin vegetables in monsoon Published on: 13 June 2020, 02:58 PM IST

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