नींबू घास एक औषधीय घास है. अंग्रेजी में इसे लेमन ग्रास कहा जाता है जबकि भारत के क्षेत्रिय भाषाओं में इसके कुछ नाम और भी हैं. मूल रूप से ये पोएसी प्रजाति का है. इसके पत्तियों से सुगंध आती है जो बहुत हद तक तीक्ष्ण होने के कारण नींबू जैसी प्रतीत होती है. कई विशेषज्ञों के मुताबिक ये भारतीय मूल का ही पौधा है जिसे बाद में विदेश ले जाया गया. इसकी उपज अगर सही से हो तो ये प्रथम वर्ष में औसतन 100 से 120 लिटर तेल दे सकता है. चलिये आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.
उपयुक्त जलवायु
नींबू घास की अच्छी खेती उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु में हो सकती है. इसे समुद्र तल से 1200 मीटर तक की ऊंचाई में उगाया जा सकता है. इस घास पर पाले का प्रभाव सबसे तेजी से पड़ता है.
उपयुक्त भूमि
वैसे तो इसकी खेती हर प्रकार की भूमि पर हो सकती है. हल्की लेटराइटिक लाल मृदा में अगर खेती कर रहे हैं तो आपको उर्वरक अधिक मात्रा में उपयोग करना पड़ेगा. हां पानी की निकासी का ख्याल रखा जाना जरूरी है.
जुताई
इसकी खेती के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से क्रॉस जुताई करना सबसे बेहतर है. इसके बाद भूमिगत कीटों से रक्षा करने के लिए 5 प्रतिशत एण्डोसल्फान 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुरक देना चाहिए.
बीजारोपण
दक्षिण भारत की एक विधि का प्रयोग करते हुए आप बीजों को पहले पौधशाला में बोने का काम करें. बीजों को बोने से पूर्व किसी फफूंदीनाशक का उपयोग करना जरूरी है. बाद में बीजों को मिट्टी की एक पतली परत से ढंक दें. बुआई का काम अप्रैल से मई में किया जाना चाहिए.
कटाई और पैदावार
फसल रोपण के 100 दिन बाद इसकी पहली बार कटाई की जाती है और उसके बाद हर 60 से 70 दिन के अन्तराल पर कटाई होती है. पहली कटाई पर औसतन 100 से 120 लिटर तेल प्राप्त होता है.
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