रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की लगभग – लगभग खेती हो चुका है. हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे किसान है जो गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं है. ऐसे में जो किसान भाई अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं है वो किसान भाई गेहूं की पछेती क़िस्मों की बुवाई कर सकते है, क्योंकि मौजूदा वक्त में गेहूं की कई ऐसी किस्में हैं.
जिनका देरी से बुवाई करने के बाद भी उत्पादन कम प्रभावित होता है. आमतौर पर देरी से बुवाई की परिस्थितियों में भी अधिकतर किसान सामान्य किस्मों की ही बुवाई करते हैं. नतीजतन उत्पादकता में कम रह जाती है ऐसी स्थिति में किसानों को निराश होने की जरूरत नहीं है. ऐसे में आइए जानते है इन पछेती किस्मों के बारे में -
उन्नत किस्में व बीज मात्रा (Improved varieties and seed quantity)
पछेती बुवाई के लिए गेहूं की कम समय में पककर तैयार होनी वाली फसलों में डब्ल्यूएच-291, राज-3765, सोनक, एचडी-1553, 2285, 2643, पीबीडब्ल्यू-373, यूपी-2338, एचडी-2932, डीबीडब्ल्यू-16 आदि किस्मों का बीज प्रति एकड़ 55 से 60 किलो डालें.
बीज बोने का सही समय व बीजोपचार (Seed sowing time and seed treatment)
आमतौर पर गेहूं की पछेती क़िस्मों की बुवाई 25 दिसंबर तक पूरी कर लेनी चाहिए. क्योंकि, 15 दिसंबर तक बुवाई कर लेने पर उपज अच्छी होती है. दीमक से बचाव हेतु 150 मिली क्लोरोपाइरीफोस 20 फीसद का साढ़े चार लीटर पानी में घोल बनाकर 1 कुंतल बीज को उपचारित करें.
इसके अलावा अगले दिन कंडुआ व करनाल बंट रोग से बचाव हेतु 1 ग्राम रेक्सिल फफूंदनाशक दवा प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचार करें. अंत में बुवाई से थोड़ा पहले जीवाणु खाद एजोटोवेक्टर तथा फोसफोटीका से उपचारित करें.
प्रति एकड़ की दर से उर्वरक व सिंचाई (Fertilizer and irrigation at the rate of per acre)
गेहूं की खेती हेतु, खेत की तैयारी के समय जिंक व यूरिया खेत में डालें तथा डीएपी खाद को ड्रिल से दें. बुवाई करते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ दें.
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पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया दें. पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें. इसके बाद फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई करें.
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