गेहूं रबी फसलों में एक प्रमुख अनाज फसल है, जिसकी खेती देश के ज्यादातर किसान अपने खेत में करते हैं. गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई का अच्छा समय 25 नवंबर से लेकर 25 दिसंबर तक माना जाता है. अगर भी इस दौरान अपने खेत में गेहूं की पछेती किस्मों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो ऐसे में आज हम आपके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई गेहूं की उन्नत पछेती किस्में और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं. गेहूं की पछेती उन्नत किस्में- एच डी 3271, एच डी 3117, एच डी 3118, HD 3059 और HD 3090 किस्में हैं. वहीं, जहां पर कम सिंचाई के साधन हैं किसान वह पर गेहूं की HI 1621 किस्म, HI 1563, HI 1977 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
ऐसे में आइए गेहूं की इन उन्नत पछेती किस्मों की बुवाई किसान कैसे अपने खेत में करें और साथ ही पूसा वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह प्रधान ने इस दौरान किसानों को किन-किन बातों को ध्यान में रखने के लिए कहा है. इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
गेहूं की पछेती बुवाई के लिए बीज उपचार
पूसा वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह प्रधान ने गेहूं की इन पछेती उन्नत किस्मों के बारे में बताया कि इन किस्मों से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसान अपने खेत में बीज दर गेहूं की बुवाई के लिए करीब 120-125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग में ला सकते हैं. क्योंकि जब किस्मों की सही समय पर बुवाई की जाती है, तो उसमें 20 से 25 प्रतिशत बीज दर बुवाई के लिए बढ़ा देना चाहिए. इसके लिए कतार से कतार की दूरी 18-20 cm रखें. इसी के साथ-साथ गेहूं की बुवाई के लिए बीज उपचार सबसे अहम होता है. इसके लिए किसान कोई भी फफूंदीनाशक जैसे कि कार्बेंडाजिम, बवेन, थिरम और कैप्टन आदि से 2-2.5 किलोग्राम दर से बीज उपचार कर सकते हैं.
इसके अलावा किसान अपने खेत में कुछ जय उर्वरक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि- जोटाबैक्टर, स्पारियमस आदि. लेकिन ध्यान रहे कि इसका उपचार फफूंदनाशक के बाद ही करें. उपचार करने के बाद ही किसान गेहूं की सीधी बुवाई कर दें.
गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई के लिए इन मशीनों को करें इस्तेमाल
अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर किसान अपने खेत में गेहूं की बुवाई छिटकवा करते हैं. ऐसे में पूसा वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह प्रधान ने किसानों को सलाह दी है कि वह गेहूं की बुवाई को सीडिल, जीरो टिलर, हैप्पी सीडर और सुपर सीडर के द्वारा करें. इसे फसल में किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है और साथ ही इसे फसलों का विकास अच्छे से होता है. इसलिए किसान अपने खेत में गेहूं की बुवाई मशीनों के द्वारा लाइन में ही करें.
गेहूं की पछेती बुवाई के लिए उर्वरक प्रबंधन
किसान अपने खेत में गेहूं की बुवाई मद्दा प्रशिक्षण कराने के बाद ही करें. ताकि किसानों को यह पता चल सके कि खेत की मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है. जिसे किसान सरलता से दूर कर सकें. किसान मृदा प्रबंधन के लिए 120 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. 60 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. वहीं, अगर खेत में जिंक की कमी है, तो किसान अपने खेत में 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालें.
ये भी पढ़ें: गेहूं की ये टॉप पांच बायो फोर्टिफाइड किस्में देंगी 76 क्विंटल/हेक्टेयर उपज, जानें इनकी खासियत
पूसा वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह प्रधान ने यह भी कहा कि किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि सही समय पर गेहूं की जिन किस्मों की बुवाई करनी चाहिए. उन किस्म की बुवाई पछेती में नहीं करें. ऐसा करने से किसानों को उसकी लागत के अनुसार लाभ नहीं मिलता है.
Share your comments