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Diseases of Guava: अमरूद में लगने वाले ये दो रोग फसल को कर देंगे खराब, वैज्ञानिक तरीके से करें उपचार

अमरूद में लगने वाले दो रोग फल मक्खी और मिली बक्की फसल को पूरी तरह से खराब कर सकती हैं. इसके नियंत्रण के लिए किसानों को फसल चक्र में परिवर्तन से लेकर कई बातों का ध्यान रखना होगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि वैज्ञानिक तरीके से कैसे करें फसल का उपचार-

लोकेश निरवाल
अमरूद में लगने वाले रोगों का वैज्ञानिक तरीके से करें उपचार (Image Source: Pixabay)
अमरूद में लगने वाले रोगों का वैज्ञानिक तरीके से करें उपचार (Image Source: Pixabay)

Diseases of Guava: अमरूद एक लोकप्रिय फल है, देश के ज्यादातर किसानों के द्वारा अमरूद की खेती की जाती हैं. देखा जाए तो अमरूद की आर्थिक व व्यावसायिक महत्व की वजह से यहां के किसानों का रुझान इसकी तरह काफी बढ़ रहा है. ऐसे में आज हम किसानों के लिए अमरूद की फसल में लगने वाली बीमारियां व इसके नियंत्रण की जानकारी लेकर आए हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार गोस्वामी ने बताया कि अमरूद में सबसे बड़ी समस्या बरसात के फसल में फल मक्खी की होती है. इसका सबसे अच्छा तरीका फसल चक्र में परिवर्तन इसको ज्यादातर लोग बाहर नियंत्रण भी कहते हैं.

बता दें अमरूद में दो बार फूल आते हैं और दो बार ही फल लगते हैं, जो बरसात की फसल होती है उसके फूल अप्रैल के महीने में आते हैं. अगर किसान अप्रैल के महीने में उन फूलों को झड़ा दें. तो फल मक्खी पर नियंत्रण पा सकते हैं. उसके दो तरीके हैं या तो उसकी प्रूनिंग कर दें या फिर उसमें 10 प्रतिशत यूरिया का घोल छिड़काव कर दें. वहीं, अगर किसान ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उसका दूसरा तरीका फेरोमेन ट्रैप है.

अमरूद में लगने वाली फल मक्खी पर ऐसे पाएं नियंत्रण

पूसा वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार गोस्वामी ने कहा कि अमरूद में लगने वाली फल मक्खी है उसके लिए मिथाइल यनल के ट्रैप अब मार्केट में उपलब्ध है. फेरोमेन ट्रैप के साथ-साथ में ये बैगिंन भी आजकल उपलब्ध हो रही हैं, जोकि एक पॉली प्रोफाइनल ट्यूब है. अगर यह भी किसानों के पास उपलब्ध नहीं हैं, तो वह लिफाफे का भी प्रयोग कर सकते हैं. इसे मिथाइल यनल ट्रैप के साथ में फिरान ट्रैप भी कहा जाता है. 

इसके के लिए किसानों को एक बात का ध्यान रखना है कि फेरोमोन ट्रैप में रखें रसायन को 15-21 दिन में बदलना है जिसमें फेरोमेन, मिथाइल यू जनाइल और स्पाइनोसस का घोल होता है. इसके बाद आपको 30 से 45 दिन के बाद बैगिंग करनी है, जिससे फल बेर के आकार का हो जाएगा. ऐसा करने से फल मक्खी के प्रभाव पर नियंत्रण देखने को मिलेगा.

ये भी पढ़ें: अमरुद में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम

अमरूद की फसल में लगने वाली बक्की बीमारी

वहीं, अब अमरूद की फसल में दूसरी समस्या भी आने लगी हैं, जो मिली बक्की है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें किसानों को अमरूद के पत्तों में सफेद-सफेद एकदम रुई के जैसे इसमें कीड़े दिखेंगे. इसके नियंत्रण के लिए आपको कोई भी कपड़े धोने वाले पाउडर का घोल बनाकर इसपर स्प्रे कर दें. उसके बाद में कार्बोसल्फान का करीब 2 ML प्रति लीटर के हिसाब से आप घोल इसपर स्प्रे करें.

English Summary: diseases affecting guava fruit fly and milli bakki and their prevention IARI scientists measures Published on: 26 November 2023, 02:55 PM IST

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