किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर नकदी फसल की ओर रुख कर रहे हैं. केला एक नकदी फसल है, जिसकी 12 महीने बाजार में मांग रहती है और फसल के अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. आज इस लेख में हम आपको केले की खेती के बारे में विस्तार से बतायेंगे...
केले के लिए मिट्टी
केले की खेती के लिए पोषक तत्वों वाली मिट्टी का चयन करें. केले की खेती से पहले मृदा परीक्षण करवा लें, भूमि में पोषक तत्वों की कमी होने पर उसे पूरा करें. इसकी खेती के लिए चिकनी बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए. हालांकि मिट्टी ड्रेनेजयुक्त होनी चाहिए, ताकि पानी की निकासी होती रहे. केले की खेती को ज्यादा ठंडे और ज्यादा गर्म तापमान से बचाना चाहिए.
केले के लिए जलवायु
केले की खेती के लिए खेत में हवा का आवागमन होना जरुरी है. इसकी खेती के लिए 13 डिग्री से 38 डिग्री तक तापमान अच्छा होता है. फसल की खेती के लिए आर्द्र कटिबंधीय से लेकर शुष्क उष्ण कटिबंधीय जलवायु में की जाती है.
कौनसे पेड़ हैं उपयुक्त
केले की खेती के लिए टिशू कल्चर से तैयार पौधों की बुवाई सबसे उपयुक्त होती है. टिशू कल्चर से तैयार पौधे जल्द ही तैयार हो जाते हैं और यह पौधे 300 सेमी से ज्यादा लंबे होते हैं. इस किस्म के केले मुड़े हुए हैं. टिशू कल्चर से तैयार पौधे एक साल में ही फल देने लगते हैं. इस तकनीक से तैयार पौधों की खेती पूरे साल की जा सकती है. जिससे किसान पूरे साल मुनाफा कमा सकते हैं.
कैसे करें खेत की तैयारी
केले की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी में हरी जैविक खाद मिलाएं. खेती की 2 से 4 बार अच्छे से जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. मिट्टी तैयार करते समय एफ.वाईएम की उपयुक्त खुराक डालें.
केले के पौधों की रोपाई
केले की रोपाई के लिए 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर के आकार के गड्ढे बनाए जाते हैं. जिनमें खली, कार्बोफ्युरॉन मिश्रित मिट्टी, 8.15 किलो नाडेप कम्पोस्ट खाद, नीम की खली, सिंगल सुपर फास्फेट, नाइट्रोजन, पोटाश डालना चाहिए. तैयार गड्ढों को धूप में छोड़ा जाता है ताकि बैक्टीरिया मर जाएं. खेत की मिट्टी नमकीन क्षारीय है और पी.एच. 8 से ऊपर हो तो गड्ढे के मिश्रण में कार्बनिक पदार्थ को मिलाना चाहिए. इसके बाद पौधों की रोपाई की जानी चाहिए. प्रति एकड़ खेत में 1452 पौधे लगाए जा सकते है.
केले की उन्नत किस्में
केले की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं. सिंघापुरी के रोबेस्टा नस्ल की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. साथ ही बसराई, हरी छाल, ड्वार्फ, सालभोग, अल्पान व पुवन इत्यादि प्रजातियां अच्छी मानी जाती हैं.
केले की फसल सिंचाई
केले की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई व मल्चिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है. ड्रिप के जरिए पानी की भी बचत होती है. हालांकि पौधे की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें. पौधों को पर्याप्त पानी दें. आवश्यकता से अधिक सिंचाई से मिट्टी की हवा निकल जाएगी. जिससे पौधों का विकास रुक जाता है.
केले की फसल लागत व मुनाफा
केले की खेती में कम लागत आती है. एक बीघा केले की खेती में करीब 50 हजार की लागत आती है. यदि अच्छे से पौधों की देखभाल की जाए तो एक पौधे से करीब 60 से 70 किलो तक पैदावार हासिल की जा सकती है. केले मंडी में अच्छे भाव में बिकते हैं. इस तरह केले की खेती कर आप 2 से 3 लाख रुपये की आय आसानी से कमा सकते हैं.
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