रबी सीजन में किसान बहुत सी फसलों की खेती मुनाफे को देखते हुए करते हैं. आज हम आपको धनिया के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. इसकी बुआई 12 महीने में कभी भी की जा सकती है. लेकिन अगर किसान इसकी उन्नत किस्मों को ध्यान में रखते हुए इसकी बुआई करते हैं, तो इससे किसानों को मोटा मुनाफा होता है. धनिया की उन्नत किस्मों में जीसी 2 (गुजरात धनिया 2), हिसार खुशबू, आरसीआर 41, पंत हरितमा आदि शामिल हैं.
ये किस्में किसानों को न केवल ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि ज्यादा मुनाफा भी देती हैं. आज हम आपको धनिया की इन उन्नत किस्मों में बारे में विस्तार से जानकारी देंगे. तो चलिए जानते हैं इन उन्नत किस्मों के बारे में -
जीसी 2 (गुजरात धनिया 2)
यह हरी पत्तियों के लिए उपयुक्त किस्म है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग के तथा दाने मध्यम आकार के होते हैं. इस किस्म को पककर तैयार होने में लगभग 110 दिन का समय लगता है. प्रति एकड़ भूमि पर खेती करने से लगभग 6 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है.
हिसार खुशबू
धनिया की यह किस्म मध्यम ऊंचाई की होती है. साथ ही इसके दाने भी मध्यम आकार के होते हैं. बुआई के 120 से 125 दिन बाद फसल पकने के लिए तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ भूमि से 7.5 से 8.4 क्विंटल उपज प्राप्त होती है.
आरसीआर 41
यदि आप पत्तियों के लिए धनिये की खेती कर रहे हैं, तो यह उपयुक्त किस्मों में से एक है. इसके फूलों का रंग गुलाबी और दाने छोटे-छोटे होते हैं. बुआई के बाद फसल को पकने में 130 से 140 दिन का समय लगता है. प्रति एकड़ भूमि से लगभग 8 क्विंटल फसल पैदा होती है.
पंत हरितमा
यह किस्म हरी पत्तियों और दानों दोनों के लिए उपयुक्त है. इसके पौधे मध्यम ऊंचाई के तथा दाने गोल एवं मध्यम आकार के होते हैं. बुआई के लगभग 110 दिन बाद फसल पककर तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ भूमि से 6 से 8 क्विंटल उपज.
इसके अलावा धनिये की कई अन्य किस्मों की भी खेती की जाती है. जिसमें जेडी 1, सीएस 6, सिम्पो एस 33, कुंभराज, आरसीआर 446, आरसीआर 728, आरसीआर 684 आदि किस्में शामिल हैं.
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किसान इन उन्नत किस्मों के माध्यम से धनिया की खेती में ज्यादा पैदावार एवं उच्च गुणवत्ता युक्त धनिया को प्राप्त कर सकते हैं. आपको जानकारी के लिए बता दें कि ये किस्में विभिन्न कृषि संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई हैं.
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