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मृदा गुणों और फसल की उत्पादकता पर बायोचार का प्रभाव

बायोचार लकड़ी का कोयला है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोमास के पायरोलिसिस द्वारा निर्मित होता है. यह एक थर्मो-रासायनिक प्रक्रिया है जहां ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोमास को गर्म किया जाता है.

हेमन्त वर्मा
Biochar
Biochar

बायोचार लकड़ी का कोयला है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोमास के पायरोलिसिस द्वारा निर्मित होता है. यह एक थर्मो-रासायनिक प्रक्रिया है जहां ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोमास को गर्म किया जाता है. परिणामस्वरूप जैव-तेल और बायोचार के साथ संश्लेषण गैस प्राप्त की जाती है. बायोचर एक महीन दानेदार और झरझरा पदार्थ है, जो प्राकृतिक जलने से पैदा होने वाले चारकोल के ही समान है. आज के समय मिट्टी में जैविक पदार्थों की कमी और पल्सेस क्रॉप फसल के रूप में शामिल नहीं करने के कारण उपज में लगातार गिरावट देखी गई है.इसके अलावा, सर्दियों के मौसम को छोड़कर पूरे वर्ष में उच्च तापमान (32-44 डिग्री सेंटीग्रेट) के कारण कार्बनिक पदार्थ का तेज गति से खनिजीकरण हो जाता है. जिससे पौधे ग्रहण नहीं कर पाते है.

बायोचार का मिट्टी और फसलों पर प्रभाव (Effect of Biochar on Soil and Crops)

बायोचारसेकृषि उत्पादकता बढ़ा करता है, और कुछ पर्ण और मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

बायोचार मिट्टी की भौतिक संरचना और जल धारण क्षमता को बढ़ा कर पौधों की वृद्धि कीमें अत्यधिक सहायक है.

बायोचार के इस्तेमाल से रेतीली मिट्टी की हाइड्रोलिक चालकता में सुधार और कठोर मिट्टी के भौतिक गुणों में सुधार भी होता है.

बायोचार एक ऐसे एजेंट के रूप में काम करता है जिसके परिणामस्वरूप पीएच और मिट्टी के लिए पोषक तत्व की उपलब्धता बढ़ जाती है.

बायोचार का रेतीली दोमट मिट्टी में अनुप्रयोग कर देखा गया है कि मिट्टी की ओर्गनिककार्बन (OC), धनायन विनिमय क्षमता(CEC), उपलब्ध P, विनिमेय K और मिट्टी की उर्वरता की स्थिति में सुधार होता है.

बायोचार गुण मिट्टी के सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाते हैं और माइक्रोबिन वातावरण बना सकते हैं.

उर्वरक के साथ अलग-अलग बायोचार के अनुप्रयोग ने मक्का के शुष्क पदार्थ की उपज में काफी वृद्धि देखी गई है.

पौधों के क्लोरोफिल तत्व की अधिकता हो जाती है जिससे पौधा अधिक भोजन बना पाता है और स्वस्थ्य रहता है.

बुवाई के 30 और 60 दिन बाद मक्का की फसल में अधिकतम ऊंचाई बायोचार के उपयोग से हो जाती है.

बायोचार के प्रयोग से पौधे की क्रूड प्रोटीन और उपज में वृद्धि होती है.

बायोचार के प्रयोग से पौधा अधिक मात्रा में और तेजी से प्रमुख पोषक तत्व (नाइटोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) और माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व (केल्सियम, मेग्नीशियम,सल्फर, मेग्नीज़,जिंक, कॉपर और आयरन) ले पाता है.

मृदा भौतिक और रासायनिक मापदंडों पर बायोचार अनुप्रयोग का प्रभाव(Effect of Biochar Application on Soil Physical and Chemical Parameters)

बायोचार से उपचारित मिट्टी में बल्क घनत्व (Soil bulk density) कम करने की क्षमता होती है. बल्क डेंसिटी कम होने से मिट्टी संरचना में अधिक पोर्स बनते है और इन पोर्स या मिट्टी के इन कणों के बीच खाली जगह होने से अधिक पानी संग्रहण हो सकता है. बायोचार का मिट्टी में संरचना सुधारने का कार्य है जैसा गोबर की खाद से होता है.

बायोचार के अनुप्रयोग या इस्तेमाल से मिट्टी की जल धारण क्षमता (WHC) को प्रभावित किया जा सकता है.रेतीली दोमट मिट्टी में बायोचार के उपयोग से मिट्टी में पानी रोकने की क्षमताबढ़ती है.

मिट्टी की धनायन विनिमय क्षमता (CEC) को बढ़ाता है.

क्लस्टर बीन बायोचार और प्रोसोपिस जूलीफेरा से बना बायोचार दूसरे बायोचार की तुलना में अधिक गुणवत्ता लिए होता है.

यह वातावरण से कार्बनडाई ऑक्साइड सोंख लेता है और ग्रीन हाउस गैस को भी कम करता है.

English Summary: Impact of soil properties and crop productivity on Biochar Published on: 10 May 2021, 05:45 PM IST

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