खेत में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करनी चाहिए. ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, कीट की प्युपा अवस्था तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते है. उसके बाद हैरों या देशी हल से 3-4 जुताई करके, पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें.अन्तिम जुताई के बाद 125 टन सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर अन्तिम जुताई कर दे. बुआई के 30-40 दिनों बाद मिर्च की पौध रोपण के लिए तैयार होती है. रोपाई के पूर्व नर्सरी में और खेत में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, ऐसा करने से मिर्च की पौध की जड़ टूटती नहीं है और पौध आसानी से लग जाता है.
पौध को जमीन से निकालने के बाद सीधे तेज धूप में नहीं रखना चाहिए. जड़ो के अच्छे विकास के लिए 5 ग्राम माइकोराइजा प्रति लीटर की दर से एक लीटर पानी में घोल बना लें. इसके बाद मिर्च पौध की जड़ों को इस के घोल में 10 मिनट के लिए डूबा के रखना चाहिए. माइकोराइजा एक प्रकार के जीवाणुओं का समूह है जो पौधे की जड़ों में रहकर पौधो को पोषक तत्व मिट्टी से उपलब्ध अवस्था में उपलब्ध कराता है. यह विधि अपनाने के बाद ही खेत में मिर्च पौध रोपण करें ताकि मिर्च की पौध खेत में भी स्वस्थ रहें.
मिर्च पौध की रोपाई समान्यतः पंक्ति से पंक्ति दूरी 60 सेमी० और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी० रखकर करनी चाहिए. उसके तुरन्त बाद खेत में हल्का पानी दे दें. मिर्च की पौध रोपाई के समय 45 किलो यूरिया, 200 किलो एस.एस.पी और 50 किलो एम.ओ.पी. उर्वरक को बेसल डोज के रूप में प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर देना चाहिए.
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