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अजवायन की फसल को खरपतवार और कीट-रोग से कैसे सुरक्षा करें?

अजवायन (Carom) के पौधों में कई प्रकार के कीट और रोगों का आक्रमण होता है. फसल में इनकी समस्या से पैदावार में कमी होना भी स्वाभाविक है. जिससे बचाव के लिए जरूरी होता है फसल पर इनके लक्षण जानना. ये लक्षण देख कर ही हम इसका अच्छे से उपचार कर सकते हैं. फसल की उचित समय पर देखभाल के साथ खरपतवार नियंत्रण (Control) करना भी बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि इन्ही खरपतवारों पर कीट व रोग के बीजाणु सबसे पहले शरण लेते है. उसके बाद ही अजवाइन की फसल को नुकसान पहुंचाते है. अतः पादप संरक्षण (Plant protection) और खरपतवार प्रबंधन फसल पैदावार के लिए काफी ज्यादा आवश्यक हो जाता है.

हेमन्त वर्मा
Ajwain plant (अजवाइन)
Ajwain plant (अजवाइन)

अजवायन (Carom) के पौधों में कई प्रकार के कीट और रोगों का आक्रमण होता है. फसल में इनकी समस्या से पैदावार में कमी होना भी स्वाभाविक है. जिससे बचाव के लिए जरूरी होता है फसल पर इनके लक्षण जानना. ये लक्षण देख कर ही हम इसका अच्छे से उपचार कर सकते हैं.

फसल की उचित समय पर देखभाल के साथ खरपतवार नियंत्रण (Control) करना भी बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि इन्ही खरपतवारों पर कीट व रोग के बीजाणु सबसे पहले शरण लेते है. उसके बाद ही अजवाइन की फसल को नुकसान पहुंचाते है. अतः पादप संरक्षण (Plant protection) और खरपतवार प्रबंधन फसल पैदावार के लिए काफी ज्यादा आवश्यक हो जाता है. 

अजवाइन की फसल पर निम्न प्रकार के कीट और रोग नुकसान पहुंचाते है:

चूर्णिल आसिता या छाछ्या रोग (Powdery mildew disease)

इस रोग से पौधों पर सफेद चूर्ण या पाउडर जमा हो जाता है. इससे पौधे पीले होकर कमजोर हो जाते है और जल्दी पक (early maturity) जाते है, जिससे उपज में कमी आती है. अजवाइन के पौधों में यह रोग कवक के माध्यम से फैलता है. इस रोग के लगने पर शुरुआत में पौधों की पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे (white spot) दिखाई देने लगते हैं. रोग बढ़ने पर धब्बों का आकार बढ़ जाता है और आखिर में पौधे की पत्तियों पर सफ़ेद रंग का पाउडर जमा हो जाता है.

इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर 0.2 प्रतिशत घुलनशील गंधक (Soluble sulphur) की उचित मात्रा का छिडकाव करना चाहिए. इस रोग के नियन्त्रण हेतु 25 किलोग्राम सल्फर डस्ट का प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें. जरुरत पड़ने पर 15 दिनों बाद दोबारा दवा का प्रयोग कर सकते है.

झुलसा रोग से बचाव (Treatment of Blight disease)

फसल में फूल आने के दौरान वातावरण में नमी ज्यादा होने पर इस रोग का प्रकोप तेजी से होता है. इस रोग के लगने पर शुरुआत में पौधों की पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. रोग बढ़ने पर पौधे की पत्तियां सूखकर नष्ट हो जाती हैं. इसके नियन्त्रण हेतु मैंकोजेब (Mancozeb 75 WP) 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर) घोल का छिड़काव रोग की शुरुआती अवस्था में करें.

एफीड या मोयला कीट (Aphid insect)

यह कीट चैपा नाम से भी जाना जाता है. फूल आने की अवस्था में इस कीट का प्रकोप अधिक हो जाता है. ये पौधों के कोमल भागों से रस चूस कर कमजोर कर देते है. इसकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी या थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी (Thiamethoxam) 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. छि़डकाव (Spray) शाम के समय करें, जिससे मधुमक्खियों (Honeybee) पर इसका कम प्रभाव पड़े.

अजवायन में खरपतवार नियंत्रण करें (Weed control in Carom)

अजवाइन के पौधों को खरपतवार नियंत्रण के लिए इसके पौधों की रोपाई के लगभग 25 से 30 दिन बाद इसके पौधों की पहली गुड़ाई कर खेत में मौजूद खरपतवार को निकाल देना चाहिए. अजवाइन की फसल में दो गुड़ाई काफी होती हैं. 

इसके पौधों की दूसरी गुड़ाई रोपाई के डेढ़ से दो महीने बाद कर देनी चाहिए. रासायनिक नियन्त्रण (Chemical control) के लिए बीजाई के बाद और अंकुरण (Germination) से पहले खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. जमीन में नमी जरूर होनी चाहिए.

English Summary: How to protect Carom Seed (Ajwain) from weeds and disease pest Published on: 17 December 2020, 07:09 PM IST

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