देश की अलग-अलग जलवायु और मौसम के हिसाब से मशरूम की कई किस्मों का उत्पादन (Mushroom Variety Production) किया जाता है. वातावरण में ताप और नमी से मशरूम के उत्पादन पर असर पड़ता है. अतः तापमान और नमी को ध्यान में रखकर अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार की मशरूम पैदा की जा सकती है ताकि कम समय में ज्यादा मुनाफा (benefit) लेकर खुशहाल जीवन जिया जा सके.
अगर आप भी ऐसी है कुछ करना चाहते हैं कि लोगों के लिए आईकन (Icon) बने तो ओयस्टर मशरूम (Oyester Mushroom) की खेती सबसे अच्छा आइडिया है. इस मशरूम की खास बात ये है कि इसे सालभर उगाया जा सकता है. ओयस्टर मशरूम में प्रोटीन बहुत मात्रा में होता है, और इसमें कई तरह के औषधीय तत्व (Oyester Mushroom Medicinal Benefits) भी पाए जाते है. ढींगरी (ओयस्टर) मशरूम भी दूसरी अन्य मशरूम की तरह पौष्टिक खाद्य पदार्थ है.
ओयस्टर मशरूम का उत्पादन या खेती कैसे करें? (Oyster mushroom production or cultivation method)
ओयस्टर मशरूम लगाने के लिए सबसे पहले उत्पादन कक्ष की जरूरत पड़ेगी. ये कक्ष यानी बॉक्स कच्र्ची इंटों, पोलिथीन तथा धान या अन्य फसल के पुआल से बनाऐ जा सकते हैं. इन उत्पादन कक्षों में खिड़की और दरवाजों पर जाली लगी होनी चाहिए, ताकि हवा का उचित आगमन हो सके. वैसे तो ये उत्पादन कक्ष किसी भी आकार के हो सकते है जैसे 18 फुट लंबा 15 फुट चौड़ा 10 फुट ऊंचा कक्ष बनाया जा सकता है. इस नाप के कक्ष में लगभग 300 बैग रखे जा सकते हैं. ढींगरी मशरूम का उत्पादन किसी भी प्रकार की बिना सड़ी गली फसल अवशिष्ट पर किया जा सकता है. फसल अवशिष्ट या भूसा 2-3 सेमी साइज का कटा हुआ होना चाहिए.
फसल अवशेष को उपचारित करना (Treating crop residue): फसल अवशेष (भूसे) से हानिकारक सूक्ष्मजीवी फंफूद, बैक्टीरिया निकालने के लिए दो विधि से उपचारित किया जाता है. पहली विधि गर्म पाने से, फसल अवशेषों (भूसे) को बड़े भगोले या पतीले में डाल कर पानी भरा जाता है और इस पानी को गर्म कर (60-65 सेल्सियस) लगभग 20-30 मिनट तक उपचारित किया जाता है. साफ जगह पर भूसे को फैला कर ठंडा करने के बाद बीज मिलाया जाता है.
दूसरी विधि- यह रासायनिक विधि है जिसमें कार्बेण्डजीम और फोर्मलीन से भूसा उपचारित किया जाता है. सबसे पहले 200 लीटर के ड्रम में 90 लीटर पानी डाला जाता है. इसके बाद कार्बेण्डजीम 7.5 ग्राम और फोर्मलीन 125 मिली दवा ड्रम में मिला दी जाती है, और लगभग 10-12 किलो सूखे भूसे को भी ड्रम में डालते हैं. इसके बाद ड्रम के ऊपर पोलिथीन की शीट 14-16 घंटे तक अच्छी तरह से ढक देते हैं. 14-16 घंटे बीत जाने के बाद भूसे को किसी प्लास्टिक या लोहे की जाली पर 2-4 घंटे तक डाल कर छोड़ देना चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाए.
बीजाई करनाः दो दिन पहले कमरे को 2 प्रतिशत फार्मलीन से उपचारित कर लेना चाहिए. 1 क्विंटल सूखे भूसे के लिए 10 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है. ओयस्टर मशरूम का ताजा बीज जो 20 दिन से ज्यादा पुराना न हो. सर्दी और गर्मी के अनुसार ओयस्टर मशरूम की प्रजाति का चयन करना जरूरी रहता है.बीजाई यानी बीजों की बुवाई करने के लिए 4 किलो की क्षमता वाली पोलिथीन की थैली में 4 किलो गीले भूसे में लगभग 100 ग्राम बीज अच्छी तरह से मिला कर भर दें. भूसे को अच्छी तरह से दबाकर पोलिथीन भर देनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि थैली के अंदर हवा ना जाए. अब पोलिथीन को मोड़कर रबड़ बेंड से बंद कर दें. इसके बाद पोलिथीन के चारों और लगभग 5 मिमी. के 10-15 छेद कर दें.
मशरूम की बुवाई के बाद रखरखाव कैसे करें ? (Post-sowing maintenance)
बीजाई करने के बाद थैलियों को कक्ष में रख देने के बात देखते रहें कि पोलिथीन की थैली में हरा, काला या नीले रंग की फंगस तो उत्पन्न नहीं हो रहा है, अगर फंगस उत्पन हो रहा है तो तुरन्त पोलिथीन को कक्ष से हटाकर दूर फेंक देना चाहिए. अन्यथा दूसरे पोलिथीन बैग भी संक्रमित हो सकते हैं. यदि गर्मियों में ताप अधिक हो तो दीवारों पर पानी छिड़क कर कक्ष को ठंडा रखना चाहिए और पोलिथीन बैग पर पानी का हल्का छिड़काव भी दिन में 2-3 बार करना चाहिए. लगभग 15 से 25 दिन बाद ओयस्टर मशरूम निकलने लगेंगी. जिस कमरे में मशरूम की बीजाई की है उसमें लगभग 4 से 6 घंटे तक प्रकाश आना चाहिए या ट्यूबलाईट भी लगाई जा सकती है|
मशरूम की तुड़ाई कैसे करें? (Mushroom harvesting)
लगभग 15 से 25 दिन बाद या छतरी के बाहरी किनारे ऊपर मुड़ने लगे तो ओयस्टर मशरूम की पहली तुड़ाई कर लेनी चाहिए. मशरूम को नीचे से हल्का सा मोड़ दिया जाता है जिससे मशरूम टूट जाती है. पहली फसल के 8-10 दिन बाद दूसरी बार मशरूम आती है. इस प्रकार तींन बार उत्पादन लिया जा सकता है. एक किलो सूखे भूसे से लगभग 700 से 800 ग्राम तक पैदावार मिलती है.
भंडारण और उपयोग (Storage and use)
भंडारण करने के लिए मशरूम को तुरन्त तोड़ कर पोलिथीन में पैक नहीं करनी चाहिए बल्कि लगभग 2 घंटे तक कपड़े या कागज पर सुखाकर पैक करना उचित रहता है, ताकि मशरूम खराब ना हो.मशरूम का उपयोग सूप, सब्जी, बिरयानी, आचार बनाने के लिए किया जाता है. इतना ही नहीं इसे सुखाकर भी सब्जी और सूप बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है.
लागत और मुनाफा (Cost and profit)
ढीगरी मशरूम का उत्पादन एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. इसमें लागत बहुत कम लगती है. उत्पादन कक्ष भी कच्चे और कम लागत पर बनाए जा सकते है. एक किला ढीगरी मशरूम पर 10-15 रुपए लागत आती है और बाजार में मांग के अनुसार 200-250 रूपये प्रति किलो ढीगरी मशरूम बेची जा सकती है. या इसको सुखाकर भी बेचा जा सकता है.
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