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Mushroom ki Kheti: इस नई तकनीक के प्रयोग से मशरूम की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा

अगर आप मशरूम की खेती करना चाहते हैं तो ऐसे में आप इस नई तकनीक के प्रयोग से मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं...

आदित्य शर्मा
मशरूम की खेती का तरीका
मशरूम की खेती का तरीका

मशरूम की खेती (Mushroom Farming) अब पुआल पर भी किया जा सकता है. पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनफा मिल सकेगा. यह तकनीक डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गयी है. डॉ. दयाराम का कहना है कि गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए अनुकूल है और इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.

इसमें पुआल की उष्मा को अन्य तकनीक से ज्यादा होना बताया जाता है. गर्मी के मौसम में इसको दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त माना जाता है. वहीं मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम हर्ष के साथ बताते हैं कि अन्य तकनीक के मुकाबले इसमें समय भी कम लगेगा जहां दूसरे तकनीक में मशरूम 30 से 35 दिनों में तैयार होता है इस प्रक्रया से अब मशरूम को अब 15 से 20 दिनों में ही तैयार कर लिया जाएगा.

लॉकडाउन के वक्त तैयार की यह तकनीक

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम के नेतृत्व में काम कर रही टीम ने लॉकडाउन की अवधि का इस्तेमाल करते हुए मौजूदा समय में तकनीक को विकसित किया है. डॉ. दयाराम ने इस संबंध में बताया कि पुआल को खेतों में जलाने से कई प्रकार की समस्याएं होती हैं जिसमें वातावरण दूषित होने के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्वों को भी काफी नुकसान होता था. इसके साथ ही अगर मशरूम की खेती की बात की जाए तो गर्मियों में दूधिया मशरूम को उगाने के लिए पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था. वहीं अब इसके विकल्प के रूप में पुआल पर एक्स्ट्रा पैडी मशरूम विकसित की जा रही है.

वैज्ञानिकों ने माना शोध के परिणाम को बताया संतोषजनक

डॉ. दयाराम ने कहा कि इस तकनीक के अभी तक के परिणाम काफी संतोषजनक हैं. इसके उत्पादन के लिए उपयक्त तापमान की बात करें तो 30 से 38 डिग्री सेल्सियस अनुकूल है. वहीं इसके लिए सापेक्ष आद्रर्ता 90 प्रतिशत उपयुक्त माना गया है. इससे यह साफ होता है कि गर्मी के मौसम में इसका उत्पादन काफी बेहतर हो सकता है. इस तकनीक से तैयार होने के बाद मशरूम में प्रोटीन समेत अन्य पोषक तत्व बिल्कुल समान ही रहता है.

इसका उत्पादन घर में भी किया जा सकता है

धान की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को छोटी-छोटी मुट्ठी (अंटिया) बनाकर बांध लिया जाता है. उसके बाद उन्हें 15 से 20 मिनट तक पानी में फुलाकर गर्म पानी से उपचारित किया जाता है.

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आगे चोकर या बोझे की तरह उसे बांधकर नीचे के पुआल वाली मुट्ठी पर मशरूम के बीज को रख दिया जाता है.  आखिर में पुआल की कई परत बनाकर बीज को डाला जाता है. इस तरह से घर पर ही टेबल का आकार बनाकर मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.  

English Summary: checkout the new technique of mushroom farming in bihar Published on: 23 May 2020, 06:35 PM IST

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