मसालों की फसलों में तथा कटाई के बाद भंडारण में रखरखाव करते समय सूक्ष्मजीवों का प्रकोप हो सकता है. इन सूक्ष्म जीवों में कवक (मोल्ड) और बैक्टीरिया मुख्य होते हैं, जो रासायनिक क्रिया द्वारा जहर पैदा करते हैं. कवक या फंगस विष बनाते हैं जिन्हे जहरीली फंगस कहते हैं. यह जहर फफूंद मसालों की खुशबू तो नष्ट करती ही है साथ ही साथ उनके द्वारा बनाए हुए फंगस जहर स्वास्थ्य के लिए बड़ा घातक होता हैं. इससे कैंसर भी पैदा हो सकते हैं. इसलिए कुछ महत्वपूर्ण विष फंगस और उनके विषैले प्रभाव से बचना जरूरी हो जाता है. कुछ सावधानियां रखकर मसाला फसलों को फफूंदी जहर से बचा सकते हैं तथा दूसरे देशों में निर्यात हेतु प्रबंधन कर सकते हैं.
एस्परजिलस फंगस (Aspergillus fungus)
इसकी एस्परजिलस फ्लेवस, एस्परजिलस पैरास्टिकस और एस्परजिलस ओराइजी प्रजाति पाई जाती है जो एफ़्लाटोक्सिन जहर पैदा करती है. जिसके विषैले असर से हैपेटाइटिस रोग, कैंसर रोग आदि हो जाते है. यह एस्परजिलस ओक्रासियस, एस्परजिलस फ्लेवस, पेनिसिलियम विरीडिकेटम फंगस से ओक्राटॉक्सिन पैदा होती है जो लीवर और किडनी के लिए जहरीली है.
पेनिसिलियम फंगस (Penicillium fungus)
यह जहरीली फंगस भी विष पैदा करती है, जिससे किडनी के रोग, त्वचा में ट्यूमर बनना, फेफड़े में सूजन होना, खून की कोशिकाओं का फटना जैसे गंभीर रोग पैदा करती है.
फ्यूजेरियम फंगस (Fusarium fungus)
यह हाइपर इस्ट्रोजेनिक विष पैदा करती है जो कोशिका को नष्ट करने का काम करती है.
क्लेविसेप्स फंगस (Claviceps fungus)
यह क्लेविसेप्स परपुरिया अरगट जहर बनाती है जिससे गर्भपात, पेट के रोग आदि दिक्कते हो जाती है. यूरोपियन देशों ने भी इन सूक्ष्म जीवों की संख्या निर्धारित कर रखी है. जिससे बीजीय मसलों को एक्सपोर्ट करने में बाधा आती है.
फफूंद जहर का निर्यात आधारित प्रबंधन कैसे करें (How to export based management of fungal poison)
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फफूंद जहर के दुष्प्रभाव एवं निर्यात आधारित प्रबंधन के लिए मसाला फसलों की कटाई समय पर करें.
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कटाई के बाद मसाला फसलों के बीजों को मिलावटी पदार्थों से बचाना चाहिए. जैसे कि चूहों, जानवरों और चिड़िया के अवशिष्ट पदार्थ (बाल, मल, मूत्र, पंख), धूल, मिट्टी, कंकड़, मेटल आदि मिलावट होने पर भण्डार करते समय ये कवक (मोल्ड) तथा जीवाणु पैदा हो जाते है. अतः स्टोर करने का काम सावधानी से करें.
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मसाला फसलों की कटाई के बाद भंडार करने में उचित नमी की मात्रा होनी चाहिए, जिससे जहर फफूंद नहीं पनप सके.
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कटाई के बाद मसाला फसलों को सफाई हेतु पक्के फर्श का प्रयोग करें या प्लास्टिक की सीट त्रिपाल पर रखें.
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बरसात की संभावना होने पर खलिहान को तिरपाल से ढक कर रखें, जिससे ये भीगे नहीं. फफूंद का आक्रमण नमी की अधिकता से हो जाता है.
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भंडारण या रखरखाव के समय उचित नमी पर ही प्रबंध करें. सुखी बोरियों में कृषि उपज भरे, जिससे जहरीली फंगस नहीं पनपे.
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भंडारण में चूहों व पक्षियों का प्रवेश नहीं होने दे तथा इनके मल मूत्र तथा रेत व अन्य कचरा मिलावट से बचें, क्योंकि जहर फफूंद इन पर पनपते हैं.
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भंडार में मसाला भरी बोरियों को सीधे फर्श के संपर्क में नहीं रखें तथा दीवार के सहारे हटाकर बोरियों में नहीं रखे क्योंकि इससे नमी विष फंगस बनते हैं.
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