गन्ने का उपयोग मुख्यतः व्यावसायिक चीनी उत्पादन के लिए होता है. गन्ने से चीनी के साथ-साथ अन्य उत्पाद जैसे पेपर, इथेनाल एल्कोहल, सेनेटाइजर, बिजली उत्पादन, जैव उर्वरक (Bio fertilizer) के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. शरदकालीन गन्ने की खेती देश में उत्तर भारत में अक्टूबर माह में होती है.
शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए जलवायु (Climate for Autumn Sugarcane Farming)
शरदकालीन गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) का सही समय 27-32 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर उपयुक्त है. शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इसकी खेती अगेती धान के बाद आसानी से की जाती है.
शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव (Selection of soil for Sugarcane cultivation)
गन्ने की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है, लेकिन भारी दोमट मिट्टी पर भी गन्ने की खेती अच्छी हो सकती है. अम्लीय व क्षारीय मिट्टी तथा जिस जमीन पर पानी का जमाव होता हो वहाँ पर गन्ने की खेती उपयुक्त नहीं होती.
गन्ने की किस्में (Varieties of Autumn Sugarcane)
शरदकालीन बुवाई में प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पकने वाली प्रजातियां Co-238, Co-239, Co--0118, Co--8436, Co--91014, Co--88230, Co--96268, Co--98231, Co--8272 है. सामान्य प्रजातियों में Co--8432, Co--096275, Co--97261, UP-0097, Co-97264 आदि उन्नत किस्मों (improved varieties) की श्रेणी में आती हैं.
गन्ने में खेत की तैयारी (Field preparation in Sugarcane)
खेत को तैयार करने के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई के बाद 2-3 बार हैरो चलाना चाहिएं. अंतिम में ढेलों को तोड़ने के लिए पाटा चलाना चाहिए. बुवाई के समय खेत में वांछित नमी होना जरूरी है.
गन्ने की खेती के लिए बीज बुवाई (Sowing of seeds for sugarcane cultivation)
गन्ने के एक तिहाई ऊपरी भाग का को काट कर बोना चाहिए, क्योंकि ऊपरी भाग में ग्लूकोज की अधिक मात्रा होने के कारण अंकुरण अच्छा होता है. सबसे पहले गन्ने की बोने से पूर्व गन्ने के दो अथवा तीन आंख वाले टुकड़े काटकर अलग कर लें. इन टुकड़ों को रोग, कीट से बचाने के लिए कम से कम 15 मिनट तक 1000 लीटर पानी में 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम, 2000 मिली मैलाथियान (Malathion) और 5-7 किलो यूरिया के घोल में भिगोना चाहिए. गन्ने के तीन आंख वाले करीबन 14 से 16 हजार और दो आँख के 20 हजार से 24 हजार टुकड़े प्रति एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त है.
शरदकालीन गन्ने की बुवाई की विधियां और खाद, उर्वरक की मात्रा (Sowing methods, manure & fertilizers dose of Autumn Sugarcane)
शरदकालीन गन्ने की अधिकतर रेजर विधि से बुवाई की जाती है लेकिन ट्रैंच विधि (Trench method) से बोये गए गन्ने की उपज रेजर की तुलना में अधिक होती है. ट्रैंच विधि से बोये गन्ने में अन्तः फसली के रूप में सरसों, आलू, मूंग (Mustard, Potato, Green gram) आदि की फसल लेकर अतिरिक्त लाभ लिया जा सकता है. ट्रेंच तकनीक से बुवाई करने के लिए खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर से एक फीट चौड़ी और लगभग 25-30 सेमी गहरी नाली बनाई जाती हैं. दो नालियों के बीच की दूरी 120 सेमी की होती है. नाली बनाने के बाद सबसे नीचे उर्वरक डाला जाता हैं. एक एकड़ के लिए उर्वरक की मात्रा 113 किलो नाइट्रोजन, 32 किलो फास्फोरस, 72 किलो पोटाश और 10 किलो जिंक सल्फेट होती है. इसमें नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा और फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा बुवाई के समय डाल दें.
शरदकालीन गन्ने में पौध संरक्षण (Plant protection of Autumn Sugarcane)
शरदकालीन गन्ने में रोग वं कीटों की जानकारी इस प्रकार है-
लाल सड़न रोग (Red rot): इस रोग में गन्ना के अन्दर लाल सड़न शुरू हो जाती है और बाद में गन्ना सुख जाता है.
बचाव के लिए गन्ने के टुकड़े को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपचारित करके ही बोयें. प्रभावित खेत में 2-3 साल तक गन्ने की खेती करने से बचना चाहिए.
तना भेदक (Stem borer): इस कीट की रोकथाम के लिए प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @100 ग्राम/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC @ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें. इसके जैविक प्रबंधन के लिए बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
दीमक (Termite): गन्ने में दीमक की समस्या अधिक गंभीर होती है. इस कीट की रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 EC 2.47 लीटर की मात्रा सिंचाई के पानी से साथ ड्रॉप (बूंद-बूंद) में दें. जिससे पूरे खेत में कीटनाशक जमीन में जाकर कीट को प्रभावित करेगा. जैविक फफूंदनाशी बुवेरिया बेसियाना एक किलो या मेटारिजियम एनिसोपली एक किलो मात्रा को एक एकड़ खेत में 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर खेत में बिखेर दें.
पायरिल्ला कीट (Pyrilla): यह कीट खरीफ मौसम में गन्ने को अधिक नुकसान करता है. इससे बचाव के लिए गन्ने के खेत में 5 X 5 फीट का एवं 4 इंच गहरा गड्डा बना लें एवं उसमें पॉलीथिन बिछा दें. इस गड्डे में पानी भर कर आधा लीटर केरोसिन या 10-15 मिली मेलाथियान या 1 लीटर जला हुआ तेल डालें. गड्डे के ठीक ऊपर प्रकाश प्रपंच (ब्लब) लटका दें. पायरिल्ला व अन्य कीट प्रकाश प्रपंच से आकर्षित होंगे और गड्डे में गिरकर मर जायेंगे. प्रकाश प्रपंच (ब्लब) रात्रि 8 से 10 बजे तक ही चालू रखे उसके बाद इन कीटों की क्रियाशीलता कम हो जाती है.
या 80 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या 80 ग्राम थायोमेथोक्सोम 25 WG प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी इसका नियंत्रण किया जा सकता है. पायरिला कीट के परजीवी एपीरिकेनिया मेलोनोल्यूका के 4-5 लाख अंडे प्रकोपित फसल पर छोड़ें. इस परजीवी कीट की पर्याप्त उपस्थित में पायरिला कीट की स्वतः रोकथाम हो जाती है.
गन्ने की फसल में सिंचाई व्यवस्था (Irrigation management in Sugarcane crop)
गन्ने की फसल को 5-6 बार सिंचाई करना अधिक उपज के लिए जरूरी हो जाता है. शरदकालीन गन्ने में 20 दिन पर एक सिंचाई करनी होती है. यह सिंचाई मिट्टी की नमी देख कर भी की जा सकती है.
खरपतवार प्रबंधन (Weed management)
गन्ना बोने के 25-30 दिनों के अंतराल पर खरपतवार नियंत्रण के लिए निंदाई की जा सकती है. गन्ना बोने के तुरंत बाद खरपतवार नाशी एट्राजिन 1 किलो को एक हजार लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें. जिससे उत्पन्न सभी खरपतवार नष्ट हो जाते हैं.
खेत की अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियां (Other important farm activities)
गन्ने में पौधों की जड़ों को नमी व अच्छा वायु संचरण और खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रत्येक सिंचाई के बाद निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए. गन्ने का अंकुरण देर से होने के कारण कभी-कभी खरपतवारों का अंकुरण गन्ने से पहले हो जाता है. जिसके नियंत्रण हेतु एक गुड़ाई करना आवश्यक होता है जिसे अंधी गुड़ाई भी कहते है. गन्ने की फसल बहुत ऊंची ऊंची हो जाती है जिससे थोड़ी हवा चलने से भी गन्ना की फसल गिर जाती है और फसल खराब हो जाती है अतः गिरने से बचाने के लिए गन्ने को रस्सी से या पत्तियों के सहारे आपस में बांध दें. इसको बांधने का काम दो बार जुलाई में तथा जब पौधा 3.5 मीटर से अधिक ऊंचा हो जाये, तब करें.
गन्ने फसल की कटाई और उपज (Yield and Crop harvesting of Sugarcane crop)
यह एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है जिसे सीधे शुगर मिल में भेजा जाता है. शरदकालीन गन्ने की कटाई के लिए लिए गन्ने की परिपक्वता जांच करके ही करनी चाहिए. इसके लिए हेंड रिप्रेफ्क्टोमीटर से बिंदु 18 तक होने पर कटाई कर लें. दूसरा यह तरीका है कि जब नीचे की पत्तियां सुख कर लटक जाये और मेटेलिक (धातु) आवाज आने पर यह परिपक्व (Maturity) की निशानी है. शरदकालीन गन्ने में दोहरी उपज प्राप्त हो जाती है. वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर 485 से 526 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता है.
लागत और शुद्ध लाभ (Cost and net profit)
वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर बीज, उर्वरक, सिंचाई, खेत की तैयारी, पौध संरक्षण, रखरखाव आदि में लगभग 36 हजार रुपए की लागत (Cost) प्रति एकड़ है. चूंकि यह शरदकालीन फसल है अतः गन्ने की कतारों के बीच दूसरी फसल जैसे आलू, सरसों के अतिरिक्त 10 हजार रुपए कमाएं जा सकते हैं अतः कुल मिलाकर एक लाख 17 हजार रुपए शरदकालीन गन्ने से कमाएं जा सकते हैं. यदि शुद्ध लाभ की बात करें तो 76 हजार प्रति एकड़ मिलेगी.
सरकारी किस्म के बीज प्राप्त करने का स्थान और सम्पर्क सूत्र (Place to get Government varieties seed & contact)
नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय या कृषि अनुसंधान केन्द्र से बीज के लिए संपर्क किया जा सकता है. दिल्ली में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) जाकर या 011- 25842686/ 25841428 पर या एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन सेंटर (ATIC) पर 011-25841670, 1800-11-8989 सम्पर्क किया जा सकता है.
गन्ना प्रजनन संस्थान (Sugarcane Breeding Institute), कोयंबटूर तमिलनाडू में स्थित है जहां लगभग गन्ने के अधिकतर किस्में विकसित की जाती है. यहाँ संपर्क करने के लिए 0422-2472621 या 0422-2473971 पर फोन किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के किसान भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Sugarcane Research) लखनऊ से संपर्क के लिए 09415152102 फोन करें.
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