किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती करना चाहिए. जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है और इसके फूलों को गरीबों का गुलाब कहा जाता है. इसके तेल की आजकल बाजार में जबरदस्त मांग है, इसलिए किसान इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकता है. बता दें कि जिरेनियम की पत्तियों, तने और फूलों से आसानी से तेल निकाला जा सकता है. हर साल भारत में 149 टन जिरेनियम की खपत होती है लेकिन इसका उत्पादन सिर्फ 5 टन ही होता है. तो ऐसे में आइए जानते हैं जिरेनियम की खेती कैसे करें.
जलवायु और मिट्टी
इसकी खेती के लिए हर तरह की जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. लेकिन कम नमी वाली हल्की जलवायु अच्छी पैदावार के लिए उत्तम मानी जाती है. जिरेनियम की खेती उस क्षेत्र में की जानी चाहिए वार्षिक जलवायु 100 से 150 सेंटीमीटर हो. वहीं इसकी फसल के लिए जीवांशयुक्त बलुई दोमट और शुष्क मिट्टी में बेहतर मानी जाती है. जबकि मिट्टी का पीएचमान 5.5 से 7.5 होना चाहिए.
प्रमुख प्रजातियां
जिरेनियम की प्रमुख प्रजातियां अल्जीरियन, बोरबन, इजिप्सियन और सिम-पवन हैं.
खेत की तैयारी
यह लंबे समय की खेती होती है इसलिए इसके पौधे की प्रारंभिक अवस्था में अच्छी तरह से स्थापना होनी चाहिए. इसके लिए खेत की दो तीन जुताई करने के बाद रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. वहीं खेत में पानी की निकासी के लिए अच्छी व्यवस्था करना चाहिए .
पौधे कैसे तैयार
हमारे देश इसके बीज नहीं बनते हैं इसके चलते पौधे प्रायः कलम से तैयार किए जाते हैं. पौधे तैयार करने के लिए 8 से 10 सेंटीमीटर उठी हुई क्यारियां बनाकर उसमें खाद और उर्वरक डाल दें. इसके बाद फरवरी-मार्च या सितंबर-अक्टूबर महीने में 5 से 7 गांठ वाली टहनी का चयन करके उसमें से 10 से 15 सेंटीमीटर लंबी और पेन्सिल की मोटाई की टहनियां काटकर लगा दें.
पौधे की रोपाई
अब 45 से 60 दिनों के बाद तैयार खेत में 50 से.मी. X 50 से.मी. की दूरी पर पौधे रोपित करें. पौधे को रोपित करने से पहले थीरम या बाविस्टिन से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि पौधे फफूंदीनाशक बीमारियों से प्रभावित न हो.
खाद एवं उर्वरक
गौरतलब है कि जिरेनियम एक पत्तीदार फसल है. ऐसे में इसकी पत्तियों के समुचित विकास के लिए प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल गोबर खाद डालना चाहिए. वहीं नाइट्रोजन 150 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. खेत की अंतिम जुताई के समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा दे देनी चाहिए. जबकि नाइट्रोजन को 30 किलो के अनुपात में 15 से 20 दिनों के अंतराल में देना चाहिए.
सिंचाई
इसमें पहली सिंचाई पौधों की रोपाई के बाद करना चाहिए जिससे पौधे का सही विकास हो सकें. इसके बाद मौसम और मृदा के मुताबिक 5 से 6 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. बता दें कि आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से पौधे में जड़गलन रोग लग सकता है.
पत्तियों की कटाई
3 से 4 महीने बाद पत्तियों के परिपक्व होने के बाद पत्तियों की पहली कटाई करना चाहिए. बता दें कि कटाई के समय पत्तियां पीली या अधिक रस वाली नहीं होना चाहिए.
कमाई
जिरेनियम की फसल में प्रति हेक्टेयर लगभग 80 हजार रूपये का खर्च आता है. वहीं इससे आय लगभग 2.5 लाख रुपये हो सकती है. इस तरह एक हेक्टेयर से 1 लाख 70 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.
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